राहुल गांधी ने भाजपा पर हमला बोलते हुए जैश- ए- मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर को जी लगाकर सम्मानित किया attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 मार्च । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वर्षों पहले भारतीय जेल से छोड़े जाने को लेकर भाजपा पर तंज कसते हुए इस आतंकी के लिए ‘जी’ शब्द लगाकर संबोधित किया।

इस पर भाजपा ने उन पर जमकर निशाना साधा तो कांग्रेस ने कहा कि ‘गोदी मीडिया’ और सत्तारूढ़ पार्टी ‘कटाक्ष’ को भी जानबूझकर घुमा रही है।

दरअसल, गांधी ने दिल्ली कांग्रेस के ‘मेरा बूथ, मेरा गौरव’ सम्मेलन में पुलवामा हमले का उल्लेख करते हुए भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ये 56 इंच के सीने वाले अपनी पिछली सरकार में मसूद अजहर जी के साथ बैठकर गए। अब जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं वह मसूद अजहर को छोड़कर आए। भाजपा ने मसूद अजहर को जेल से छोड़ा।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमने अपने दो प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी और राजीव गांधी) खोए। हम आतंकवाद से डरने वाले नहीं हैं।’’

राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘ पहले दिग्विजय सिंह जी ने ‘ओसामा जी’’ और ‘हाफिज सईद जी’ कहा । अब आप :राहुल गांधी: ‘मसूद अजहर जी’ कह रहे हैं । कांग्रेस पार्टी को यह क्या हो गया है ? ’’

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया, ‘‘ राहुल गांधी और पाकिस्तान में साझी बात क्या है? यह आतंकवादियों के लिये उनका प्रेम है । ’‘

ईरानी ने कहा कि कृपया नोट करें कि मसूद अजहर के प्रति श्रद्धा…इस बात का सबूत है कि राहुल आतंकवादियों से प्रेम करते हैं ।

इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘राहुल जी के ‘मसूद’ कटाक्ष को जान-बूझकर न समझने वाले भाजपाइयों व चुनिंदा गोदी मीडिया साथियों से दो सवाल- क्या एनएसए डोभाल आतंकवादी मसूद अज़हर को कंधार जाकर रिहा नहीं कर आए थे? क्या मोदी जी ने पाक की आईएसआई को पठानकोट आतंकवादी हमले की जाँच करने के लिए नहीं बुलाया? ’’

सुरजेवाला ने अजहर और कुछ अन्य आतंकवादियों को छोड़े जाने के समय की एक तस्वीर भी शेयर की जिसमें इन आतंकवादियों के साथ डोभाल भी दिख रहे हैं।

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने 2011 में ओसामा बिना लादेन के लिए ‘ओसामा जी’ शब्द का इस्तेमाल किया था जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया था। बाद में उन्होंने कहा था कि उनकी यह टिप्पणी कटाक्ष थी

राहुल गांधी ने RSS और भाजपा पर बोला हमला: 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को भाजपा एवं आरएसएस पर तीखा हमला बोला और कहा कि लोगों को तय करना है कि उन्हें महात्मा गांधी का हिंदुस्तान चाहिए या फिर गोडसे का हिंदुस्तान चाहिए।

उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि इस लोकसभा चुनाव के बाद देश में कांग्रेस की सरकार बनेगी।

पुलवामा आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा पर तंज कसते हुए जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के लिए ‘जी’ शब्द कहा जिसको लेकर भाजपा ने उन पर निशाना साधा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए गांधी ने कहा, ‘पांच साल पहले देश में एक चौकीदार आया और कहा कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने आया हूँ, मेरा 56 इंच का सीना है। अब किसी से भी पूछ लीजिये चौकीदार क्या है? तो वह बता देगा कि चौकीदार चोर है।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस का कमाल है कि आप लोग देश के कोने-कोने में सच्चाई पहुंचा देते हो।

गांधी ने राफेल मामले का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा और कहा, ‘हमने कुछ सवाल किए थे। चौकीदार संसद में डेढ़ घन्टे बोला, लेकिन अनिल अंबानी के बारे में नहीं बोला। प्रधानमंत्री आंख से आंख नहीं मिला पाए।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ महीने पहले तीन प्रदेशों में चुनाव हुए। हमने वहां कहा कि मोदी जी ने झूठे वादे किए। हम आपसे झूठे वादे नहीं करेंगे और 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ किया। हमने दो दिन में यह काम कर दिया।’

पुलवामा हमले की पृष्ठभूमि में गांधी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ये 56 इंच की छाती वाले अपनी पिछली सरकार में मसूद अजहर जी के साथ बैठकर गए। अब जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं, वह मसूद अजहर को छोड़कर आए। भाजपा ने मसूद अजहर को जेल से छोड़ा।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमने अपने दो प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी और राजीव गांधी) खोए। हम आतंकवाद से डरने वाले नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि आप गांधी का हिंदुस्तान चाहते हैं या गोडसे का हिंदुस्तान चाहते है? एक तरफ प्यार है और दूसरी तरफ नफरत है। एक तरफ गांधी हैं जो अंग्रेजों से लड़े और जो सबसे प्यार करते थे। दूसरी तरफ सावरकर हैं जो अंग्रेजों को चिट्ठी लिखकर कहते हैं कि मुझे छोड़ दो।’’ गांधी ने दावा किया कि 2019 में कांग्रेस की सरकार आने वाली है। हम निर्णय ले चुके हैं कि हम न्यूनतम आय गारंटी देंगे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने के साथ भारत रोजगार सृजन के मामले में चीन से स्पर्धा शुरू कर देगा।

गांधी ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद किसानों की समस्याओं के समाधान पर जोर दिया जाएगा।

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चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण: त्यौहारों और पर्वों को ध्यान में रखते हुए मतदान की तारीखें जुम्मे के दिन नहीं रखी गई attacknews.in

नयी दिल्ली 11 मार्च । रमजान के दौरान आम चुनाव होने पर उठे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने सफाई दी है कि उसने लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए त्योहारों और पर्वों का ख्याल रखा है और जुम्मे के दिन मतदान नहीं रखा है।

चुनाव आयोग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि रमजान के दौरान पूरे महीने भर चुनाव को टाला नहीं जा सकता है लेकिन मुख्य त्योहारों और शुक्रवार के दिन मतदान की तारीख नहीं रखी गयी है।

मुंबई, में  कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई ने सोमवार को कहा कि रमजान के समय चुनाव कराना “अल्पसंख्यकों को मतदान से दूर रखने का षडयंत्र’’ है। क्योंकि मई में अत्यधिक गर्मी होगी और रमजान के महीने में रोजा रखने वालों को मतदान में तकलीफ होगी।

श्री दलवई ने कहा कि चुनाव आयोग संवैधानिक निकाय है इसलिए हम उसके खिलाफ कोई टिप्पणी करना नहीं चाहेंगे। लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में गर्मी के महीने में सात चरण में मतदान कराने का मतलब है कि रोजा रखने वाले मतदान नहीं कर सकेंगे। हमारी पार्टी देश के मतदाताओं की ओर से चिंतित नहीं है क्योंकि मतदाता मतदान करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

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अमेठी में सपा और बसपा के नहीं होने के बाद राहुल गांधी की यह सीट कांग्रेस और भाजपा के लिए नाक का सवाल बनी attacknews.in

अमेठी, 11 मार्च । कहावत है कि केन्द्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से हाेकर जाता है लेकिन लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही कांग्रेस के किले के तौर पर विख्यात अमेठी इस बार देश की सबसे पुरानी पार्टी के साथ ही भाजपा के लिये भी नाक का सवाल बन चुकी है।

केंद्र की सत्ता की राह आसान बनाने वाले इस राज्य की अमेठी सीट पर दशकों से कांग्रेस एकछत्र राज करती आयी है।

पिछले लोकसभा चुनाव में हालांकि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने कड़ी टक्कर दी थी। पिछले चुनाव में भाजपा ने छोटे पर्दे पर बहू के किरदार से चर्चित हुयी स्मृति को श्री गांधी के खिलाफ मैदान में उतारा था। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता रहे डॉ. कुमार विश्वास और बसपा से धर्मेंद्र भी मैदान में थे।

उधर, श्री गांधी भी सांसद के फर्ज को निभाते हुये अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच समय निकाल कर अपने संसदीय क्षेत्र में पहुंचकर और चौपाल लगाकर लोगों को अपनेपन का अहसास कराते रहे।

यहां दिलचस्प है कि 2014 के चुनाव में कांग्रेस अपने दो किलों अमेठी और रायबरेली को ही बचाने में सफल रही थी।

राज्य में पहली बार मिलकर लोकसभा चुनाव में शिरकत कर रही समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कांग्रेस के साथ हाथ नहीं मिलाया लेकिन उसके लिये अमेठी और रायबरेली सीटें छोड़ दी जिसके चलते इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा आमने सामने हैं।

कांग्रेस के लिये यह सीट बचाना जहां आसान नहीं होगा वहीं भाजपा इस सीट को जीतकर प्रदेश में कांग्रेस की चूलों को हिलाने के लिये हर पैंतरे का इस्तेमाल करेगी।

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त्रिपुरा में लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प होने जा रहा है attacknews.in

अगरतला, 11 मार्च । त्रिपुरा में सभी राजनितिक पार्टियां ने चुनाव प्रचार के लिए कमर कस ली है और दोनों मुख्य विपक्षी पार्टियोंं सीपीएम तथा कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर वादा नहीं निभाने, गरीब विरोधी कदम और बड़े व्यापरियों की सहायता का आरोप लगाया है।

त्रिपुरा में दो चरणों में चुनाव का सभी राजनितिक पार्टियों ने स्वागत किया है और सभी दल अपने उम्मीदवारों की सूची को जल्द घोषित करेंगे। सत्तारूढ़ इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) तथा इंडिजेनस नेशनल पार्टी अॉफ त्रिपुरा (आईएनपीटी)ने हालाँकि अभी तक कोई चुनावी रणनीति नहीं बनाई है।

निर्धारित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार पहले चरण में 11 अप्रैल को पश्चिमी त्रिपुरा की सामान्य सीट पर और पूर्वी त्रिपुरा आदिवासी आरक्षित सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान होगा। इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर राज्य में लोकतंत्र का माहौल नहीं बनाने का आरोप लगाया और चुनाव केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के नियंत्रण में कराने की मांग की। भाजपा ने हालांकि दावा किया वह जनादेश जानने और चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। अभी तक कुल 25.98 लाख मतदाता पंजीकृत हैं।

वाम दल के अध्यक्ष बिजन धर ने कहा कि शंकर प्रसाद दत्ता पश्चिमी त्रिपुरा से चुनाव लड़ेंगे और जितेंद्र चौधरी पूर्वी त्रिपुरा से चुनाव लड़ेंगे। त्रिपुरा कांग्रेस उपाध्यक्ष तापस देय ने भी भाजपा पर राज्य में लोकतांत्रिक माहौल बिगाड़ने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चुनाव की तैयारी लगभग पूरी हो गयी है और अगले हफ्ते तक उम्मीदवार घोषित कर दिए जाएंगे।

भाजपा ने विपक्ष के सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि जितना काम मोदी सरकार ने पिछले पांच वर्षों में किया है उसका आधा भी कांग्रेस ने 70 सालों तक नहीं किया। भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्जी ने कहा, “हम न केवल दोनों सीटों पर, बल्कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर अपनी सफलता के बारे में भी आश्वस्त हैं, क्योंकि लोगों ने बीजेपी-आईपीएफटी सरकार के काम के कारण यहां पिछले एक साल में बदलाव देखा है। लोग कांग्रेस-सीपीएम पर उनके पिछले कारनामोें की वजह से विश्वास नहीं करते हैं।”

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आंध्रप्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव बहुकोणीय मुकाबले में राजनीतिक दलों के लिए करो या मरो की लडाई attacknews.in

अमरावती, 11 मार्च । आंध्र प्रदेश में 11 अप्रैल को होने जा रहे लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मुकाबला बहुकोणीय होने की संभावना है। सत्तारूढ़ तेदेपा सहित प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए यह ‘‘करो या मरो’’ की लड़ाई मानी जा रही है।

तेलंगाना के अलग होने के बाद अब इस राज्य में 25 लोकसभा और 175 विधानसभा सीटों पर मतदान के लिए 3.71 करोड़ से अधिक योग्य मतदाता हैं।

अब तक कोई प्रमुख गठबंधन नहीं बनने के बीच, राज्य में बहुकोणीय मुकाबला होने की संभावना है क्योंकि सत्तारूढ़ तेदेपा, मुख्य विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस सहित प्रमुख दलों की अकेले चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी है।

वर्ष 2014 में आराम से चुनाव जीतने वाली तेदेपा को सत्ता में बने रहने के लिए चुनौती का सामना करना होगा जबकि मुख्य विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस राजनीति में खुद को साबित करने के लिए हर हाल में जीत चाहेगी।

कांग्रेस आंध्र प्रदेश में फिर से मजबूत होने की कोशिश में है। उसे 2014 में राज्य के विभाजन के बाद करारी हार झेलनी पड़ी थी।

भाजपा के लिए यहां कुछ भी दांव पर नहीं है लेकिन यह राज्य की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता साबित करने का प्रयास करेगी।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आंध्र प्रदेश में मुख्य मुकाबला तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस के बीच होगा। सबकी नजर जन सेना पर होंगी क्योंकि यह पार्टी वोट काटकर किसी भी दल को नुकसान पहुंचा सकती है।

वर्ष 2014 में तेदेपा का भाजपा के साथ गठबंधन था और इसे गठजोड़ को तेलुगू फिल्म स्टार पवन कल्याण की जन सेना पार्टी ने अपना समर्थन दिया था।

जन सेना ने उस चुनाव में किसी सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे।

लेकिन इस बार, तेदेपा, भाजपा से राजनीतिक संबंध तोड़कर चुनावी मैदान में अकेले उतरी है जबकि जन सेना भाकपा और माकपा के साथ गठबंधन करके पहली बार चुनाव लड़ रही है।

कांग्रेस और तेदेपा ने पिछले साल दिसंबर में तेलंगाना में मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन कांग्रेस की करारी हार के बाद यह गठजोड़ टूट गया। कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

पिछले चुनावों में, तेदेपा ने 175 सदस्यीय विधानसभा की 102 सीटें जीती थीं जबकि वाईएसआर कांग्रेस, भाजपा ने क्रमश: 67 और चार सीटें हासिल की थीं।

आंध्र की 25 लोकसभा सीटों में तेदेपा ने 15, वाईएसआर कांग्रेस ने आठ और भाजपा ने दो सीटें अपने नाम की थीं।

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कन्हैया कुमार सहित अन्य द्वारा जेएनयू में देशविरोधी गतिविधियों के लिए दिल्ली पुलिस ने मुकदमा चलाने की अभी तक अनुमति नहीं दी attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 मार्च । दिल्ली पुलिस ने सोमवार को यहां की एक अदालत से कहा कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 2016 के राजद्रोह के एक मामले में मुकदमा चलाने के लिए अधिकारियों से अभी तक जरूरी अनुमति नहीं मिली है।

दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को कुमार और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था जिसमें कहा गया था कि जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम के दौरान जेएनयू छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष एक जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने देश विरोधी नारेबाजी का समर्थन किया था।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने पुलिस से कहा कि वह मंजूरी हासिल करने के बाद आरोप पत्र दाखिल कर सकती थी।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप (पुलिस) मंजूरी हासिल करने के बाद इसे दायर कर सकते थे। जल्दबाजी क्या थी? मैं मामले में आगे बढ़ सकता हूं।’’

पुलिस ने अदालत को बताया कि मंजूरी मिलने में दो से तीन महीने लगेंगे।

अदालत ने इस मामले से जुड़े पुलिस उपायुक्त से भी रिपोर्ट मांगी है।

मामले पर अगली सुनवाई 29 मार्च को की जाएगी।

अदालत ने पूर्व में कुमार और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये मंजूरी हासिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय देते हुये पुलिस से संबंधित अधिकारियों को प्रक्रिया को तेज करने को कहने का निर्देश दिया था।

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आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का मामला संविधान पीठ को सौपने का निर्णय करेगा सुप्रीम कोर्ट attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 मार्च । उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह इस समय सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिये 10 फीसदी आरक्षण का मामला संविधान पीठ को सौंपने के बारे में कोई आदेश पारित नहीं करना चाहता।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि इस मामले में 28 मार्च को सुनवाई होगी और तभी विचार किया जायेगा कि क्या इसे संविधान पीठ को सौंपने की आवश्यकता है या नहीं।

याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से पीठ ने कहा कि वह उन बिन्दुओं के बारे में एक संक्षिप्त नोट तैयार करे जो उन्होंने अपने आवेदन में उठाये हैं।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिये नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये दस फीसदी आरक्षण देने के निर्णय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।

हालांकि, न्यायालय कांग्रेस समर्थक और कारोबारी तहसीन पूनावाला की याचिका पर दस फीसदी आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार के लिये तैयार हो गया था और उसने इस याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया था और पहले से लंबित याचिकाओं के साथ उसे संलग्न कर दिया था।

इससे पहले, न्यायालय ने इस आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले गैर सरकारी संगठन यूथ फॉर इक्वैलिटी और जनहित अभियान की याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किये थे। इन याचिकाओं में संविधान के 103वें संशोधन कानून, 2019 को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन करता है क्योंकि सिर्फ आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण सामान्य वर्ग तक सीमित नहीं रखा जा सकता है।

इस सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10 फीसदी आरक्षण दिये जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से सोमवार को इन्कार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि वह इस संबंध में कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं करेगी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता तहसीन पुनावाला की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने पीठ के समक्ष दलील दी कि इस मामले को संविधान पीठ के समक्ष भेजा जाना चाहिए, क्योंकि इसमें संविधान के मूल ढांचे का प्रश्न उठता है।

न्यायालय सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केन्द्र के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि इस फैसले से इंदिरा साहनी मामले में शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के 50 फीसदी आरक्षण की अधिकतम सीमा का उल्लंघन होता है।

इससे पहले इसी मामले में पुनावाला, यूथ फ़ॉर इक्वेलिटी, जीवन कुमार, विपिन कुमार और पवन कुमार आदि की याचिकाओं पर न्यायालय नोटिस जारी कर चुका है। अब सभी याचिकाओं पर न्यायालय एक साथ सुनवाई करेगा।

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पुलवामा आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड मुदस्सिर अहमद और सज्जाद भट को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में ऐसे मार गिराया attacknews.in

श्रीनगर, 11 मार्च । जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले की साजिश रचनेवाला आंतकवादी दक्षिणी कश्मीर के त्राल क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में मारा गया। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि जैश ए-मोहम्मद का आतंकवादी मुदस्सिर अहमद उर्फ ‘मोहम्मद भाई’ पुलवामा जिले के त्राल के पिंग्लिश क्षेत्र में कल रात मुठभेड़ के दौरान मारे गए दो आतंकवादियों में से एक है।

उन्होंने बताया कि खान और जैश-ए-मोहम्मद के एक अन्य आतंकवादी सज्जाद भट सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गये। भट की ही गाड़ी का पुलवामा आतंकवादी हमले में इस्तेमाल किया गया था।

अधिकारियों के अनुसार खान के परिवार के सदस्य उसका शव ले गये हैं। भट के परिवारवालों ने यह कहते हुए शव लेने से इनकार कर दिया कि वह इतना जल चुका है कि उसकी पहचान नहीं हो पा रही है।

अधिकारियों के मुताबिक पिंग्लिश क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की विशेष खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने क्षेत्र की घेराबंदी करके तलाशी अभियान शुरू कर दिया। अभियान तब मुठभेड़ में बदल गया जब आतंकवादी गोलियां चलाने लगे और सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी।

अधिकारियों ने बताया कि जैश के आतंकवादी खान की पहचान पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले का षड्यंत्र करने वाले के रूप में हुई थी। हालांकि, वह पहले चर्चा में कम रहा था। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।

14 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदी मारूति इको कार सीआरपीफ के काफिले की एक बस से टकरा दी थी जिससे बल के 40 जवान शहीद हुए थे। इस आत्मघाती बम विस्फोट से दस दिन पहले भट ने यह इको कार खरीदी थी।

अधिकारियों के अनुसार आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार निरंतर खान के संपर्क में था।

इस हमले की जांच में अब तक जुटाए गए सबूतों के आधार पर सुरक्षाबलों ने बताया कि 23 साल का खान पेशे से इलेक्ट्रिशियन था और स्नातक पास था। वह पुलवामा का रहनेवाला था और उसने ही आतंकी हमले में इस्तेमाल किए गए वाहन और विस्फोटक का इंतजाम किया था।

त्राल के मीर मोहल्ला में रहनेवाला खान 2017 में जैश से जुड़ा और उसे मदद पहुंचाने लगा। बाद में नूर मोहम्मद तंत्रे उर्फ ‘नूर त्राली’ ने उसको आतंकवादी संगठन में शामिल कर लिया। नूर त्राली के बारे में माना जाता है कि उसने घाटी में आतंकी संगठनों को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई।

त्राली के 2017 में मारे जाने के बाद खान अपने घर से 14 जनवरी, 2018 को लापता हो गया और वह तब से आतंकवादी के रूप में सक्रिय था।

खान ने ग्रेजुएट करने के बाद एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) से इलेक्ट्रिशियन का एक साल का डिप्लोमा किया। वह यहां के एक श्रमिक का सबसे बड़ा बेटा था। ऐसा माना जाता है कि फरवरी 2018 में सुंजवान में सेना के शिविर पर हुए आतंकी हमले में भी वह शामिल था। इस हमले में छह जवान शहीद हो गए थे और एक नागरिक की मौत हो गई थी।

जनवरी, 2018 में लेथोपोरा में सीआरपीएफ के शिविर पर हुए हमले के बाद खान की भूमिका सुरक्षाबलों के नजर में सामने आई थी। इस हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे।

पुलवामा हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खान के घर पर 27 फरवरी को छापा मारा था।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी 14 फरवरी को पुलवामा में हुए हमले की जांच कर रही है। उसने 27 फरवरी को खान के घर की तलाशी ली थी

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तलाशी अभियान अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है और दोनों आतंकवादियों के शव बरामद कर लिए गए हैं।

गौरतलब है कि तराल के पिंगलिश गांव में रविवार तड़के कुछ आतंकवादियों के छिपे हाेने की गुप्त सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने एक खाेजी अभियान शुरू किया था और देर शाम तक पूरे इलाके की घेराबंदी होती रही। वहां एक घर में छिपे आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर गोलीबारी शुरू कर दी थी । रात को सुरक्षा बलों ने उस घर को विस्फोट से उड़ा दिया था और बाद में दो आतंकवादियों के शव तथा भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया था।

सूत्रों ने बताया कि सोमवार तड़के तक पूरे क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी रहा और यह अब समाप्त कर दिया गया।

इनमें से एक आतंकवादी  की पहचान मुदस्सिर अहमद खान,जैश कमांडर के तौर पर हुई । वह अवंतीपोरा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर किए गए आत्मघाती हमले का मास्टरमाइंड था।

मारा गया आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद का सक्रिय सदस्य  मुदस्सिर अहमद खान उर्फ ‘मोहम्मद भाई’ है जो पुलवामा हमले का सरगना था । अभी तक के साक्ष्यों को जोड़ते हुए सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि 23 वर्षीय खान इलेक्ट्रिशियन है और पुलवामा जिले से स्नातक की डिग्री हासिल की है। उसने आतंकवादी हमले के लिए वाहनों और विस्फोटकों का प्रबंध किया।

त्राल के मीर मोहल्ला का निवासी खान 2017 में जैश-ए-मोहम्मद में ‘ओवरग्राउंड वर्कर’ के रूप में शामिल हुआ था। बाद में उसे नूर मोहम्मद तांत्रे उर्फ ‘नूर त्राली’ ने जेईएम में पूरी तरह शामिल कर लिया। समझा जाता है कि तांत्रे ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी संगठन के पुनरुत्थान में मदद की।

दिसम्बर 2017 में तांत्रे के मारे जाने के बाद खान 14 जनवरी 2018 को अपने घर से लापता हो गया और तब से सक्रिय है।

अधिकारियों ने बताया कि आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार लगातार खान के संपर्क में था। डार ने ही 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले से विस्फोटकों से लदे वाहन को टकरा दिया था। स्नातक करने के बाद खान ने आईटीआई से इलेक्ट्रिशियन का एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम किया था।

गौरतलब है कि तराल के पिंगलिश गांव में रविवार तड़के कुछ आतंकवादियों के छिपे हाेने की गुप्त सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने एक खाेजी अभियान शुरू किया था और देर शाम तक पूरे इलाके की घेराबंदी होती रही। वहां एक घर में छिपे आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर गोलीबारी शुरू कर दी थी । रात को सुरक्षा बलों ने उस घर को विस्फोट से उड़ा दिया था और बाद में दो आतंकवादियों के शव तथा भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया था।

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Opinion polls: एनडीए की सीटें घटेगी और यूपीए की बढ़ेगी, राज्यवार किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेगी- यह है पूरा विवरण attacknews.in

नई दिल्ली 10 मार्च । रविवार को चुनाव आयोग द्वारा की तारीखों का ऐलान कर दिया है। ने 11 अप्रैल से 19 मई के दौरान चुनाव कराने का फैसला किया है और मतगणना 23 मई को होगी। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि इस बार के लोकसभा चुनावों के बाद किसकी सरकार बनेगी? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए के साथ मिलकर लोकसभा की सभी 543 सीटों पर सर्वे किया है और सर्वे के नतीजे काफी चौंकाने वाले लग रहे हैं।

एयर स्ट्राइक के बाद BJP को फायदा

India TV-CNX के ओपिनियन पोल के मुताबिक हाल में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को फायदा मिल सकता है और 17वीं लोकसभा में एक बार फिर से NDA की सरकार बन सकती है।

BJP की अगुवाई वाले NDA की बन सकती है सरकार

ओपिनियन पोल के मुताबिक लोकसभा की 543 सीटों में से भाजपा की अगुवाई वाले NDA को 285 सीटों पर जीत मिल सकती है जबकि कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन UPA को 126 और अन्य को 132 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है।

BJP को सबसे अधिक सीट मिलने का अनुमान

पार्टी वार बात करें तो India TV CNX के ओपिनियन पोल के मुताबिक 543 लोकसभा सीटों में अकेले भाजपा को 238 सीट मिलने का अनुमान है। कांग्रेस 82 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर पहुंच सकती है जबकि तृणमूल कांग्रेस को 30, आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस को 22, समाजवादी पार्टी को 18, बहुजन समाज पार्टी को 16, बीजू जनता दल को 14, डीएमके को 16, अन्नाद्रमुक 12, शिवसेना को 10, जनता दल यूनाइटेड को 12, राष्ट्रीय जनता दल को 8, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 7, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को 14, वाम दलों को 6 और अन्य को 38 सीट पर जीत मिलने का अनुमान है।

उत्तर प्रदेश की अधिकतर सीटों पर BJP की जीत संभव, उत्तराखंड में हो सकता है क्लीन स्वीप

राज्यवार बात करें तो उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से अब भाजपा को 40 और उसके सहयोगी दल अपना दल को 1 सीट मिलने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश में बसपा, सपा और राष्ट्रीय लोकदल के महागठबंधन को 35 और कांग्रेस को 4 सीट पर जीत मिलने का अनुमान लगाया गया है। इनके अलावा उत्तराखंड की सभी 5 लोकसभा सीटों पर भाजपा को जीत मिलने का अनुमान है।

राजस्थान में BJP की दमदार वापसी का अनुमान

राजस्थान की बात करें तो एयर स्ट्राइक के बाद राज्य में BJP की स्थिति बेहतर होती नजर आ रही है, ओपिनियन पोल के मुताबिक भाजपा का वोट प्रतिशत 50.71 प्रतिशत रह सकता है और पार्टी 25 में से 20 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है, कांग्रेस को सिर्फ 5 सीट मिलने का अनुमान है।

मध्य प्रदेश में BJP को 50% से ज्यादा वोट मिलने का अनुमान

मध्य प्रदेश में भी भाजपा की स्थिति बेहतर होती नजर आ रही है, ओपिनियन पोल के मुताबिक मध्य प्रदेश में भाजपा का मत प्रतिशत 51.71 प्रतिशत रह सकता है और 29 में से 23 सीट पार्टी के खाते में जा सकती है। कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सिर्फ 6 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की स्थिति विधानसभा चुनावों के मुकाबले बेहतर होती नजर आ रही है, ओपिनियन पोल के मुताबिक राज्य की 11 में से 6 सीटें भाजपा को मिल सकती हैं जबकि कांग्रेस को 5 सीट मिलने का अनुमान है।

बंगाल में भी BJP को फायदा, कांग्रेस और लेफ्ट हो सकते हैं साफ!

पश्चिम बंगाल में भी भाजपा को फायदा होता नजर आ रहा है, ओपिनियन पोल के मुताबिक इस बार राज्य में भाजपा 12 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है, पिछली बार सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली थी। राज्य में बाकी बची 30 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत होने का अनुमान है। वाम दलों और कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है और एक भी सीट नहीं मिलने का अनुमान है।

पंजाब में कांग्रेस भारी लेकिन हरियाणा में जमी रह सकती है भाजपा

हालांकि पंजाब में कांग्रेस की स्थिति कुछ बेहतर नजर आ रही है, ओपिनियन पोल के मुताबिक राज्य में 13 लोकसभा सीट में से 9 सीट कांग्रेस को मिल सकती है जबकि 3 सीट पर अकाली दल तथा 1 सीट पर आम आदमी पार्टी को जीत मिलने का अनुमान है। लेकिन हरियाणा में भाजपा का पलड़ा भारी ही दिख रहा है, ओपिनियन पोल के मुताबिक राज्य की 10 में से 9 सीट पर भाजपा की जीत हो सकती है जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 1 सीट जाने का अनुमान है।

बिहार में NDA पड़ सकता है UPA पर भारी

बिहार में भी NDA का पलड़ा UPA पर भारी होता नजर आ रहा है, ओपिनियन पोल के मुताबिक राज्य की 40 में से 30 सीटें NDA और 10 सीटें UPA के खाते में जा सकती हैं। पार्टीवार बात करें तो भाजपा को 15, जनता दल यूनाइडेट को 12, राष्ट्रीय जनता दल को 8, लोक जनशक्ति पार्टी को 3 और कांग्रेस को 2 सीट मिलने का अनुमान है। कुछ ऐसी ही स्थिति झारखंड में भी नजर आ रही है जहां 14 में से 8 सीट भाजपा, 3 झारखंड मुक्ति मोर्चा, 2 कांग्रेस और 1 सीट झारखंड विकास मोर्चा को मिलने का अनुमान है।

गुजरात में भाजपा कर सकती है क्लीन स्वीप

भाजपा के लिए गुजरात सबसे अहम राज्य माना जाता है और ओपिनियन पोल के मुताबिक इस बार भी गुजरात में भाजपा क्लीन स्वीप कर सकती है, ओपिनियन पोल के मुताबिक राज्य की सभी 26 सीटों पर भाजपा की जीत होने का अनुमान है।

महाराष्ट्र में BJP-शिवसेना गठबंधन मार सकता है बाजी

महाराष्ट्र में भी भाजपा और NDA का पलड़ा भारी होता नजर आ रही है, ओपिनियन पोल के मुताबिक महाराष्ट्र में BJP को 22, शिवशेना को 10, कांग्रेस को 9 और NCP को 7 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है। यानि राज्य की 48 में से 32 सीटों पर NDA और 16 सीट पर UPA की जीत होने का अनुमान है।

कर्नाटक में कड़ी टक्कर के आसार

कर्नाटक की बात करें तो वहां पर भाजपा कुछ हद तक कांग्रेस-JDS गठबंधन हावी हो सकता है। राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 13 पर भाजपा, 13 पर कांग्रेस और 2 सीट पर JDS की जीत होने का अनुमान है।

केरल में BJP का खुल सकता है खाता, लेकिन आंध्र-तेलंगाना में नहीं आसार

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की बात करें तो वहां पर इस बार भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलने का अनुमान है, आंध्र प्रदेश में YSRCP का पलड़ा भारी रहने की संभावना है जबकि तेलंगाना में TRS का दबदबा बरकरार रह सकता है। हालांकि केरल में इस बार भाजपा का खाता खुल सकता है और पार्टी को 1 सीट पर जीत मिल सकती है। तमिलनाडू में भी BJP को 1 सीट पर जीत मिलने का अनुमान है जबकि उसकी सहयोगी AIADMK को 12 सीटों पर जीत मिल सकती है।

दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का हो सकता है सफाया!

दिल्ली में हालांकि भाजपा की की जरदार पकड़ बने रहने का अनुमान है, ओपिनियन पोल के मुताबिक दिल्ली की सभी 7 सीटों पर भाजपा को जीत मिल सकती है जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का खाता खुलने की संभावना भी नहीं है। अन्य केंद्र शासित राज्यों की 6 सीटों में से 4 पर भाजपा को जीत मिलने का अनुमान है जबकि कांग्रेस के खाते में 2 सीट जा सकती है।

जम्मू-कश्मीर में कांटे की टक्कर

जम्मू-कश्मीर की 6 सीटों में से भाजपा को 2, कांग्रेस को 2 और अन्य को बी 2 सीट मिलने का अनुमान है। इसी तरह असम की 14 सीटों में से भाजपा को 8, कांग्रेस को 4 और अन्य को 2 सीट पर जीत मिलने का अनुमान है।

राज्यवार ओपिनियन:

ओपिनियन पोल के अनुसार उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 40 सीटें मिल सकती हैं वहीं, बसपा को 16, सपा को 18, कांग्रेस को 4 और अन्य को सीटें मिल सकती हैं। गठबंधन के हिसाब से देखें तो एनडीए को 41, महागठबंधन को 35 और यूपीए को 4 सीटें मिल सकती है।

मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

मध्य प्रदेश की 29 सीटों में बीजेपी को 23 और कांग्रेस को 6 सीटें मिल सकती है।

राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

राजस्थान की 25 सीटों में बीजेपी को 20 और कांग्रेस को 05 सीटें मिल सकती है।

बिहार की 40 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

बिहार की 40 सीटों में बीजेपी को 15, आरजेडी को 8, जेडीयू को 12, कांग्रेस को 2 और अन्य को 3 सीटें मिल सकती है।

झारखंड की 14 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल-

झारखंड की 14 सीटों में बीजेपी को 8, जेएमएम को 3, कांग्रेस को 2 सीटें मिल सकती हैं वहीं, जेवीएम पी के खाते में 1 सीट जा सकती है।

उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल-

उत्तराखंड की पांचों सीटें बीजेपी के खाते में जाती दिख रही हैं और यही परिस्थिति 2014 मे भी थी।

महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 22, कांग्रेस को 9, शिवसेना को 10 और एनसीपी को 7 सीटें मिल सकती हैं। गठबंधन के हिसा से देखें तो यहां एनडीए को 32 और यूपीए को 16 सीटें मिल सकती है।

गुजरात की 26 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

गुजरात में कांगेस को एक भी सीट नहीं, सभी 26 सीटें बीजेपी के खाते में जा सकती है।

गोवा की 2 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

गोवा में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं, दोनों सीटें बीजेपी को मिल सकती हैं।

पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

पश्चिम बंगाल में बीजेपी को 12, टीएमसी को 30 सीटें मिल सकती हैं वहीं, लेफ्ट और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं।

ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

ओडिशा में बीजेपी को 07, बीजेडी को 14 सीटें मिल सकती हैं वहीं, कांग्रेस को एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही।

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

छत्तीसगढ़ में बीजेपी को 06 और कांग्रेस को 05 सीटें मिल सकती हैं।

दिल्ली की 07 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

दिल्ली में बीजेपी को सातों सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नहीं।

पंजाब की 13 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल-

पंजाब में बीजेपी को एक भी सीट नहीं। यहां कांग्रेस को 09 और शिरोमणि अकाली दल को 3 सीटें मिल सकती हैं वहीं, 01 सीट आम आदमी पार्टी के खाते में जा सकती है।

हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल-

हरियाणा में बीजेपी को 09 सीटें मिल सकती हैं वहीं, एक सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है।

हिमाचल प्रदेश की 04 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 04 सीटें मिल सकती हैं, कांग्रेस को एक भी नहीं।

जम्मू-कश्मीर की 06 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को 2, कांग्रेस को 2, एनसीपी को 1 और पीडीपी को भी 1 सीट मिल सकती है।

तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

तमिलनाडु में बीजेपी को 1, कांग्रेस को 5, अन्नाद्रमुक को 12, द्रमुक को 16 और अन्य को 5 सीटें मिल सकती है।

आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

आंध्र प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं। यहां टीडीपी को 3 और वाईएसआर को 22 सीटें मिल सकती हैं।

तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल-

यहां बीजेपी को एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही। तेलंगाना में कांग्रेस को 2, टीआरएस को 14 और AIMIM को 1 सीट मिल सकती है।

कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल-

कर्नाटक में बीजेपी को 13, कांग्रेस को भी 13 और जेडीएस को 2 सीटें मिल सकती हैं।

केरल की 20 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

केरल में बीजेपी को 1, कांग्रेस को 8, लेफ्ट को 5 और अन्य को 6 सीटें मिल सकती हैं। गठबंधन के हिसाब से देखे तो केरल में एनडीए को 1, यूडीएएफ को 12 और एलडीएफ को 7 सीटें मिल सकती हैं।

नॉर्थ ईस्ट राज्य की 25 लोकसभा सीटों का ओपिनियन पोल- 

नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी को 11, कांग्रेस को 7 और अन्य को भी 7 सीटें मिल सकती हैं।

लोकसभा की 543 सीटों का ओपिनियन पोल- 

543 सीटों में से बीजेपी को 238 सीटें मिल सकती है। कांग्रेस को 82, टीएमसी को 30 और बीजेडी को 14 सीटें मिल सकती हैं। गठबंधन की बात करें तो एनडीए को 285, यूपीए को 126 और अन्य को 132 सीटें मिल सकती हैं।

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मध्यप्रदेश और उतर प्रदेश की प्रत्येक लोकसभा सीट का चुनाव कार्यक्रम: अधिसूचना जारी होने और नामांकन के साथ मतदान की तिथियाँ attacknews.in

भोपाल / लखनऊ 10 मार्च । मध्यप्रदेश के मुख्‍य निर्वाचन पदाधिकारी श्री व्‍ही.एल. कान्‍ता राव ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा 2019 की घोषणा के साथ ही प्रदेश में आदर्श आचरण संहिता लागू हो गयी है। जो 27 मई तक लागू रहेगी और लोकसभा चुनाव की मतगणना 23 मई को होगी। प्रदेश में आयोग के निर्वाचन कार्यक्रम अनुसार चार चरणों में चुनाव होंगे। सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों में चौथे, पांचवे, छटवे और सातवें चरण में मध्‍यप्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव होंगे।

प्रदेश में चौथे चरण में 6 लोकसभा क्षेत्र सीधी, शहडोल, जबलपुर, बालाघाट, मण्‍डला और छिन्‍दवाड़ा में मतदान होगा। निर्वाचन प्रक्रिया में 2 अप्रैल को अधिसूचना जारी होगी और 9 अप्रैल तक नामांकन जमा किये जा सकेंगे। 10 अप्रैल को नामांकनों की संवीक्षा होगी और 12 अप्रैल को नाम वापस लियें जा सकेंगे। 29 अप्रैल को मतदान होंगे।

पांचवे चरण में सात लोकसभा क्षेत्र टीकमगढ़, दमोह, सतना, रीवा, खजुराहो, होशंगाबाद और बैतूल लोकसभा क्षेत्र में चुनाव होंगे जिसकी अधिसूचना 10 अप्रैल को जारी होगी। 18 अप्रैल तक नामांकन जमा किये जा सकेंगे। 20 अप्रैल को नामांकनों की संवीक्षा होगी। 22 अप्रैल को नाम वापस लिये जा सकेंगे। मतदान 6 मई को होगा।

छटवे चरण में आठ लोकसभा क्षेत्र मुरैना, भिण्‍ड, ग्‍वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में मतदान होगा। जिसकी अधिसूचना 16 अप्रैल को जारी होगी। 23 अप्रैल तक नामांकन जमा किये जा सकेंगे। 24 अप्रैल को नामांकनों की संवीक्षा होगी। 26 अप्रैल को नाम वापस लिये जा सकेंगे। मतदान 12 मई को होगा।

सातवें और अन्तिम चरण में आठ लोकसभा क्षेत्र देवास, उज्‍जैन, इंदौर, धार, मन्‍दसौर, रतलाम, खरगौन और खण्‍डवा में मतदान होगा। जिसकी अधिसूचना 22 अप्रैल को जारी होगी। 29 अप्रैल तक नामांकन जमा किये जा सकेंगे। 30 अप्रैल को नामांकनों की संवीक्षा होगी। 2 मई को नाम वापस लिये जा सकेंगे। मतदान 19 मई को होगा। प्रदेश में लोकसभा चुनाव की मतगणना 23 मई को होगी।

विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 126 छिन्‍दवाड़ा का विधानसभा चुनाव भी लोकसभा निर्वाचन के साथ ही होगा। जिसमें 29 अप्रैल को मतदान होगा और मतगणना 23 मई को लोकसभा की मतगणना के साथ ही होगी।

एम.सी.एम.सी कक्ष का निरीक्षण किया – 24×7 न्यूज चैनलों की मानीटरिंग की जाएगी 

भारत निर्वाचन आयोग के लोकसभा निर्वाचन 2019 की घोषणा के साथ ही मध्यप्रदेश के मुख्‍य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय अरेरा हिल्‍स में एम.सी.एम.सी.कक्ष क्रियाशील हो गया है। जिसमें 24 घण्‍टे न्‍यूज चैनलों की सतत् मानीटरिंग शुरू हो गयी है। मुख्‍य निर्वाचन पदाधिकारी श्री व्‍ही.एल. कान्‍ता राव ने राज्‍यस्‍तरीय एम.सी.एम.सी कक्ष का निरीक्षण किया। इस अवसर पर पुलिस महानिरीक्षक श्री योगेश चौधरी और जनसम्‍पर्क आयुक्‍त श्री पी. नरहरि भी उपस्थित थे।

श्री राव ने कक्ष के निरीक्षण के दौरान निर्देश दिये कि न्‍यूज चैनल पर प्रसारित होने वाले चुनाव संबंधी समाचारों की रिकॉर्डिंग की जाये और उसकी रिपोर्ट शीघ्र भेजी जायें।

एम.सी.एम.सी कक्ष में जनसंपर्क संचालनालय के संयुक्‍त संचालक को मुख्य नोडल अधिकारी बनाया गया है। उनके साथ ही जनसम्‍पर्क विभाग के 68 अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत है। एम.सी.एम.सी. कक्ष में 18 टी.व्ही. चैनलों की 24 घण्टे मानीटरिंग आचार संहिता लगने के साथ ही शुरू हो गयी है। ।

एम.सी.एम.सी कक्ष में समाचार पत्र-पत्रिकाओं की भी मानीटरिंग कर पेड न्यूज संबंधी समाचारों का संकलन भी किया जायेगा। इसी प्रकार पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर भी एम.सी.एम.सी कक्ष स्थापित किये गये हैं।

उतर प्रदेश में यह है चुनाव कार्यक्रम;

राजनीति के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में सात चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे। इस चुनाव में चरण—दर—चरण सियासी जंग तेज होने के आसार हैं।

प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एम. वेंकटेश्वर लू ने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में सूबे के लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम जारी किया। पहले और दूसरे चरण में आठ—आठ जबकि पांचवें और छठे चरण में 14—14 सीटों के लिये मतदान होगा।

कार्यक्रम के मुताबिक पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना 18 मार्च को जारी होगी। जबकि मतदान 11 अप्रैल को होगा। इस चरण में कुल 8 सीटों सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाज़ियाबाद और गौतमबुद्ध नगर सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे।

दूसरे चरण की अधिसूचना 19 मार्च को जारी होगी, जिसका मतदान 18 अप्रैल को होगा। इस चरण में भी कुल 8 लोकसभा सीटों नगीना (सु.), अमरोहा, बुलंदशहर (सु.), अलीगढ़, हाथरस (सु.), मथुरा, आगरा (सु.) और फतेहपुर सीकरी के लिए वोट पड़ेंगे।

चुनाव के तीसरे चरण की अधिसूचना 28 मार्च को जारी होगी। इसके तहत मतदान 23 अप्रैल को होगा। इस चरण में 10 लोकसभा सीटों मुरादाबाद, रामपुर, संभल, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली और पीलीभीत के लिए वोट डाले जाएंगे।

चौथे चरण की अधिसूचना 2 अप्रैल को जारी होगी। इसका मतदान 29 अप्रैल को होगा इस चरण में कुल 13 सीटों शाहजहांपुर (सु.), खीरी, हरदोई (सु.), मिश्रिख (सु.), उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा (सु.), कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन (सु.), झांसी और हमीरपुर के लिए वोट पड़ेंगे।

पांचवें चरण के लिए अधिसूचना 10 अप्रैल को जारी होगी जबकि मतदान 6 मई को होगा। पांचवें चरण में कुल 14 सीटों धौरहरा, सीतापुर, मोहनलालगंज (सु.), लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी (सु.), बाराबंकी (सु.), फैजाबाद, बहराइच, कैसरगंज और गोंडा में मतदान होगा।

छठे चरण के चुनाव की अधिसूचना 16 अप्रैल को जारी होगी जबकि इस चरण का मतदान 12 मई को होगा। इस चरण में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज (सु.), आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर (सु.) और भदोही समेत कुल 14 सीटों के लिए मतदान होगा।

लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण की अधिसूचना 22 अप्रैल को जारी की जाएगी। इसके तहत मतदान 19 मई को होगा। इस चरण में महराजगंज, गोरखपुर कुशीनगर देवरिया बांसगांव (सु.), घोसी सलेमपुर बलिया गाजीपुर चंदौली वाराणसी मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज (सु.) समेत कुल 13 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे।

मतों की गणना 23 मई को की जाएगी।

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नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत ऐतिहासिक होने की बात कही; वहीं कांग्रेस पार्टी ने कहा:अब जनता की बारी है attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 मार्च । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव की घोषणा को लोकतंत्र का पर्व बताते हुए सभी देशवासियों से रिकॉर्ड संख्या में मतदान में हिस्सा लेने का आह्वान किया है।

श्री मोदी ने विशेष रूप से नये मतदाता बने युवाओं से बड़ी संख्या में हिस्सेदारी करने का आह्वान करते हुए रविवार को उम्मीद जतायी कि इन चुनावों में मतदान प्रतिशत ऐतिहासिक होगा।

उन्होंने निर्वाचन आयोग, सभी अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को शुभकामनायें दी जो स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि देश को निर्वाचन आयोग पर गर्व है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में देश की जनता ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को खारिज कर दिया। लोगों में संप्रग के भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और नीतिगत कमियों के लिए काफी आक्रोश था। भारत का आत्मविश्वास सबसे निचले स्तर पर आ गया था और जनता देश को इस गिरावट तथा निराशा से उबारना चाहती थी।

पिछले पांच वर्षों ने यह दिखा दिया है कि 130 करोड़ भारतीयों के आशीर्वाद और साझीदारी से वह सब कुछ संभव हो गया है जो पहले असंभव माना जाता है।

उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और उम्मदीवारों को चुनाव के लिए शुभकामनायें देते हुए कहा, “ हम सभी अलग-अलग दलों से हो सकते हैं लेकिन हमारा उद्देश्य एक होना चाहिए- भारत का विकास और हर भारतीय का सशक्तीकरण।”

कांग्रेस ने कहा: अब जनता की बारी है:

कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों की तिथियों की घोषणा होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि चुनावी संघर्ष का बिगुल बज गया है, अब जनता की बारी है।

कांग्रेस ने पार्टी के ट्विटर पर अपने एक पोस्ट में कहा,

–बिगुल बजा है,
–अब जनता की बारी है,
–झूठ से लड़ने की,
–पुरजोर तैयारी है।,
–झूठों के इस शासन को हम देंगे मात,
–कमर कसी है हमने, अबकी जीत हमारी है।”–

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फ्रांस्वा बेटनकोर्ट ने दुनियाभर की महिलाओं की खुबसूरती से छीने 51 अरब डॉलर रुपये attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 मार्च ।खूबसूरत दिखने के लिए दुनियाभर में महिलाएं ही नहीं पुरूष भी तरह तरह के सौंदर्य प्रसाधन इस्तेमाल करते हैं। क्रीम, फाउंडेशन, शैंपू और हेयर कलर जैसे उत्पादों से उनकी खूबसूरती कितनी बढ़ती है, यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन इन तमाम लोगों की जेब से निकलने वाले पैसे ने फ्रांस की सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनी लॉरियल की मालकिन को दुनिया की सबसे अमीर महिला जरूर बना दिया है।

आज आलम यह है कि इस कंपनी की मालकिन की संपति 51 अरब डालर पर पहुंच चुकी है।

भारतीय टेलीविजन के विज्ञापनों में कभी ऐश्वर्या राय तो कभी सोनम कपूर लड़कियों को लॉरियल के विभिन्न सौंदर्य प्रसाधन, शैंपू, कंडीशनर या हेयर कलर लगाने की सलाह देती हैं। शहरों में ही नहीं बल्कि गांव देहात की लड़कियों में भी इन सुंदरियों की तरह दिखने की चाहत इतनी ज्यादा है कि देश में भी ऐसे तमाम उत्पादों पर दिल खोलकर पैसा खर्च किया जाता है।

फोर्ब्स द्वारा हाल ही में जारी दुनिया के रईस लोगों की सूची में फ्रांस की कॉस्मेटिक कंपनी लॉरियल की वारिस फ्रांस्वा बेटनकोर्ट को 15वां स्थान मिला है। चूंकि इस सूची में उनसे ऊपर सभी पुरूष हैं इसलिए उन्हें दुनिया की सबसे अमीर महिला माना गया है। यह सच है कि फ्रांस्वा को यह दौलत उनकी मेहनत से नही बल्कि किस्मत से मिली है, लेकिन पिछले दो साल में उन्होंने कंपनी और अपनी संपति में इजाफा किया है। वह लिलियन बेटनकोर्ट की पुत्री हैं, जिनकी 2017 में मौत होने के बाद तमाम संपति इकलौती बेटी फ्रांस्वा को मिली।

इस परिवार का फोर्ब्स की सूची में आना कोई नई बात नहीं है। फ्रांस्वा से पहले उनकी मां लिलियन दुनिया की सबसे अमीर महिला और दुनिया की 14वीं सबसे अमीर शख्स थीं और 2017 में उनकी संपत्ति 44.3 अरब डॉलर थी। 2005 में फोर्ब्स ने लिलियन को दुनिया की 39वीं सबसे ताकतवर महिला बताया था।

लिलियन बेटनकोर्ट का जन्म पेरिस में हुआ था और वह अपने माता पिता की इकलौती संतान थीं। उनके पिता यूगेन शूलर ने साल 1909 में लॉरियल की शुरुआत की थी। लिलियन मात्र 5 साल की थीं जब उनकी मां का देहांत हो गया। वह अपने पिता के बहुत नजदीक रहीं और बहुत कम उम्र में कंपनी के कामों में उनका हाथ बंटाने लगीं।

समय के साथ कंपनी बढ़ती रही और साल 1950 में लिलियन ने राजनीतिज्ञ आंद्रे बेटनकोर्ट से शादी कर ली। उनके यहां 10 जुलाई 1953 को फ्रांस्वा बेटनकोर्ट का जन्म हुआ।

फ्रांस्वा को इस कंपनी की सर्वेसर्वा होने के अलावा बाइबल पर टिप्पणियों और यहूदी-ईसाई संबंधों पर उनकी सशक्त लेखनी के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने ज्यां पियरे मीयर्स से विवाह किया और दोनों के दो बच्चे हैं, जिनकी उन्होंने यहूदी परंपरा के अनुसार परवरिश की है।

2017 में कंपनी की कमान संभालने वाली फ्रांस्वा की उपलब्धियों की बात करें तो बेटनकोर्ट के नेतृत्व में लॉरियल कंपनी ने वर्ष 2018 में बिक्री का रिकार्ड बनाते हुए पिछले एक दशक में बिक्री में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की। वह 1997 से लॉरियल के बोर्ड में शामिल रही हैं और कंपनी की चेयरपर्सन हैं। वह अपने परिवार के समाज सुधार के कार्यों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं और उनके द्वारा चलाये जा रहे फाउंडेशन ने देश में विज्ञान और कला की प्रगति में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

देश में सौंदर्य प्रसाधनों का कारोबार जिस तेजी से बढ़ रहा है और अब तो पुरूषों ने भी इस क्षेत्र में महिलाओं को टक्कर देना शुरू कर दिया है। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं अगर यह कंपनी आने वाले दशकों में भी बिक्री में वृद्धि के नये रिकार्ड कायम करे और फ्रांस्वा की कमाई इसी तरह बढ़ती रहे।

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छत्तीसगढ़ में भाजपा का नया पैंतरा : आदिवासी नेता को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस को संकट में डाल दिया attacknews.in

रायपुर, 10 मार्च । छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती। इसी के चलते आदिवासी नेता विक्रम उसेंडी को राज्य का नेतृत्व सौंप कर पार्टी ने नाराज आदिवासियों को कांग्रेस के खेमे से खींचकर वापस अपने पक्ष में करने का दांव खेला है।

उसेंडी ने पिछड़ा वर्ग के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का स्थान लिया है। कौशिक अगस्त 2014 से राज्य में भाजपा का कमान संभाल रहे थे।

उसेंडी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कांकेर लोकसभा सीट से सांसद हैं और पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में वह अंतागढ़ सीट से कांग्रेस के अनुप नाग से हार गए थे। उसेंडी बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं और वर्ष 1993 में वह पहली बार अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे। वह वर्ष 2008 से वर्ष 2013 के दौरान रमन मंत्रिमंडल के सदस्य भी रहे हैं। वर्ष 2013 में अंतागढ़ विधानसभा सीट से चुने जाने के बाद वह वर्ष 2014 में कांकेर लोकसभा सीट के लिए निर्वाचित हुए हैं।

वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण होने के बाद वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 11 में से 10 सीटों पर जीत मिली थी। इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कांग्रेस के टिकट से महासमुंद से जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस जीत को वर्ष 2009 और 2014 में भी कायम रखा। इन चुनावों में भी भाजपा को 11 में से 10 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस को वर्ष 2009 में एकमात्र कोरबा सीट :चरणदास महंतः पर तथा वर्ष 2014 में दुर्ग सीट :ताम्रध्वज साहूः पर ही जीत मिल सकी थी।

लेकिन इस वर्ष होने के वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए इस जीत को कायम रख पाना आसान नहीं है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य की 90 में से 68 सीटों पर कांग्रेस ने, 15 सीटों पर भाजपा ने तथा सात सीटों पर अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ :जेः और बसपा गठबंधन ने जीत हासिल की है। इस चुनाव में कांग्रेस को आदिवासियों का साथ मिला है और राज्य की 29 आदिवासी सीटों में से 25 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं। वहीं तीन आदिवासी सीटों पर भाजपा ने तथा एक मात्र सीट पर जोगी की पार्टी ने जीत हासिल की है।

राज्य में आदिवासी सीटों पर जनाधार खोने के बाद एक बार फिर भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आदिवासी नेता को कमान सौंपी है। वैसे राज्य निर्माण के बाद से नंदकुमार साय, शिवप्रताप सिंह, विष्णुदेव साय और रामसेवक पैकरा जैसे आदिवासी नेता भी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं। लेकिन इस बार के हालात अलग है और उसेंडी के लिए राह आसान नहीं है। हालांकि भाजपा को उम्मीद है कि उसेंडी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने से पार्टी को आदिवासी वर्ग का एक बार फिर साथ मिलेगा।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने कहते हैं कि राज्य निर्माण के बाद से पार्टी ने ज्यादातर आदिवासी वर्ग को नेतृत्व सौंपा है। उसेंडी बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं और वह लगातार सक्रिय भी हैं। उनकी छवि का लाभ पार्टी को जरूर मिलेगा।

इधर कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि इसबार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन चौथाई बहुमत मिला है। राज्य सरकार लगातार आदिवासी हित में काम कर रही है। आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार तय है। ऐसे में विक्रम उसेंडी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनके सर पर हार का ठीकरा फोड़ने की भूमिका बनाई जा रही है।

राज्य में राजनीतिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर कहते हैं कि बीते विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा से जो भी आदिवासी नेता चुनाव जीते हैं वह अपने प्रभाव के कारण जीते हैं। ऐसे में विक्रम उसेंडी इन सीटों पर बहुत ज्यादा प्रभाव डाल पाएंगे यह कह पाना कठिन है।

राज्य में 11 लोकसभा सीटों में से चार अनुसूचित जनजाति के लिए तथा एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। लगभग 32 फीसदी आदिवासी आबादी वाले राज्य में उसेंडी इस चुनाव में कितना प्रभाव डाल पाते हैं यह आने वाला समय ही बताएगा।

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अस्वस्थता के बावजूद सोनिया गांधी रायबरेली की नेहरू- गांधी परिवार की परम्परागत सीट से पांचवी बार भाग्य आजमायेगी attacknews.in

नयी दिल्ली 10 मार्च । आजादी के बाद से लगातार नेहरु-गांधी परिवार का साथ देती रही उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पांचवीं बार भाग्य आजमायेंगी।

इस सीट से तीन लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव जीत चुकी श्रीमती गांधी की अस्वस्थता को देखते हुये यह माना जा रहा था कि इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी लेकिन कांग्रेस ने अपनी पहली ही सूची में उनका नाम शामिल कर इस तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया। वह 2004 से लगातार इस सीट पर चुनाव जीत रहीं हैं। पिछले आम चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रायबरेली के मतदाताओं ने उनका साथ दिया था और उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया था।

रायबरेली सीट 1957 में अस्तित्व में आयी थी। वहां अब तक 16 लोकसभा चुनाव और तीन उपचुनाव हुये हैं जिनमें से 16 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। कांग्रेस को 1977 में यहां पहली बार हार का सामना करना पड़ा था और 1996 तथा 1998 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 1999 के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का लगातार कब्जा है।
श्रीमती गांधाी ने रायबरेली से पहली बार 2004 में चुनाव लड़ा था और करीब ढाई लाख मतों से जीत हासिल की थी। उस समय उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन तैयार करने में विशेष भूमिका निभायी थी। इन चुनावों के बाद केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में इस गठबंधन की सरकार बनी थी।

गठबंधन सरकार ने श्रीमती गांधी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन किया था। लाभ के पद को लेकर विवाद खड़ा होने पर श्रीमती गांधी ने 2006 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर हुए उपचुनाव में रायबरेली के लोगों ने उन्हें फिर से अपना सांसद चुना।

कांग्रेस अध्यक्ष रहते उन्होंने 2009 और 2014 में भी यहीं से चुनाव लड़ा और जीत का सिलसिला बरकरार रखा । मोदी लहर के बावजूद पिछले चुनाव में वह साढ़े तीन लाख से अधिक मतों से जीती थीं। पिछले चुनाव में कांग्रेस रायबरेली के अलावा अमेठी में ही जीत दर्ज कर पायी थी। भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा किया था।

इस सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डाली जाये तो 1971 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस ने जीत हासिल की।

आपातकाल के बाद 1977 में हुये लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था जब भारतीय लोकदल के राजनारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को शिकस्त दी लेकिन उसके तीन वर्ष बाद हुये सातवीं लोकसभा के चुनाव में रायबरेली के मतदाताओं ने एक बार फिर इंदिरा गांधी के नाम पर मोहर लगायी। उस समय वह आंध्र प्रदेश के मेडक से भी चुनाव जीतीं थीं तथा उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। इस पर हुये उपचुनाव में नेहरु परिवार के सदस्य अरुण नेहरु कांग्रेस के उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीते और 1984 के चुनाव में भी उन्होंने इस पर अपना कब्जा बरकरार रखा।

इंदिरा गांधी इस सीट से 1967, 1971 और 1980 में चुनाव जीतीं। उनके पति फिरोज गांधी ने 1957 में इस सीट से जीत हासिल की थी। नेहरु-गांधी परिवार की एक अन्य सदस्य शीला कौल ने 1989 और 1991 में यहां से जीत हासिल की।

भाजपा ने 1996 में पहली बार इस सीट पर जीत का स्वाद चखा। उसके उम्मीदवार अशोक सिंह ने शीला कौल के पुत्र दीपक कौल को हराया था। श्री सिंह ने 1998 में हुये चुनाव में भी इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। इसके एक वर्ष बाद ही 1999 में हुये चुनाव में यह सीट फिर से कांग्रेस के पास आ गयी। तब गांधी परिवार के खास कैप्टन सतीश शर्मा रायबरेली से चुनाव जीते थे।

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ग्वालियर में RSS की प्रतिनिधि सभा का समापन:राम मंदिर बनेगा, निश्चित स्थान पर बनेगा और निर्माण तक आंदोलन जारी रहेगा attacknews.in

ग्वालियर (मध्यप्रदेश), 10 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने रविवार को कहा कि अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के बारे में संघ का दृष्टिकोण बदला नहीं है। मंदिर अयोध्या में वहीं और निर्धारित प्रारूप में ही बनेगा।

आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की यहां रविवार को समाप्त हुई तीन दिवसीय वार्षिक बैठक के बाद राममंदिर पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में संघ के सरकार्यवाह भय्या जी जोशी ने कहा, ‘‘राममंदिर निर्माण को लेकर हमारी भूमिका निश्चित है। अयोध्या में राममंदिर बनेगा, निश्चित स्थान पर बनेगा और निर्धारित प्रारूप में ही बनेगा। उस पर कोई समझौता नहीं होगा।’’

उन्होंने कहा कि राममंदिर बनने तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

उच्चतम न्यायालय द्वारा मध्यस्थता समिति के गठन को लेकर पूछे गये सवाल पर जोशी ने कहा कि संघ ऐसे किसी भी प्रयास का स्वागत करता है। न्यायालय और सरकार से संघ की अपेक्षा है कि मंदिर निर्माण की बाधाओं को शीघ्रातिशीघ्र दूर किया जाए। ऐसी अपेक्षा है कि समिति के सदस्य हिन्दू भावनाओं को समझकर आगे बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि सत्ता संचालन में बैठे लोगों का राममंदिर को लेकर विरोध नहीं है, और उनकी प्रतिबद्धता को लेकर भी कोई शंका नहीं है।

जब उनसे सवाल किया गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से राममंदिर निर्माण के लिए क्या कोई कदम नहीं उठाए गये, तो इस पर जोशी ने कहा, ‘‘सरकार ने मंदिर का विरोध नहीं किया। सरकार से आशा थी कि वह राममंदिर के लिए अध्यादेश लाएगी, लेकिन नहीं ला सकी। इसके बाद भी सरकार मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।’’

श्री-श्री रविशंकर को इस मामले में मध्यस्थता के लिए शामिल किये जाने पर उन्होंने कहा कि वे यह काम करें और सब पक्षों की बातें सुनें।

सूत्रों के अनुसार इस बैठक में राममंदिर मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की गई।

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