बिहार की जमुई लोकसभा सीट से चिराग पासवान पिता रामविलास पासवान के कारण नहीं बल्कि 2014 में नरेंद्र मोदी लहर के कारण जीते थे attacknews.in

पटना 17 मार्च । लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के लोकसभा चुनाव में जमुई (सुरक्षित) सीट से दोबारा किस्मत आजमाने की संभावनाओं को देखते हुये यह संसदीय क्षेत्र महत्वपूर्ण बन गया है और पूरे देश की निगाह यहां के चुनाव परिणाम पर टिकी रहेगी।

अभिनेता से नेता बने चिराग पासवान फिल्मी दुनिया में भले ही असफल रहे हों लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कई दिग्गजों के दांत खट्टे कर दिये। वर्ष 2011 में प्रदर्शित उनकी पहली फिल्म ‘मिले ना मिले हम’ बॉक्स ऑफिस पर पूरी तरह से फ्लॉप रही थी और संभवत: यह उनकी आखिरी फिल्म बनकर रह गई।

इसके बाद चिराग ने दिग्गज राजनेता एवं पिता रामविलास पासवान के सहारे राजनीति का रुख कर लिया। उन्हें पहली बार जमुई (सुरक्षित) सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया, जिस पर 2009 के लोकसभा चुनाव में भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का ही कब्जा रहा था।

वर्ष 2008 में हुये परिसीमन में सुरक्षित सीट होने के बाद वर्ष 2009 में पहली बार राजग के घटक जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार भूदेव चौधरी ने यहां बाजी मारी थी। वर्ष 2014 में राजग की यह सीट लोजपा को मिली और वहां से चिराग ने मोदी लहर में आसानी से जीत हासिल कर ली। जमुई सीट के लिए मतदान प्रथम चरण के तहत 11 अप्रैल को होना है।

परिसीमन के बाद जमुई को अलग लोकसभा क्षेत्र का दर्जा मिलने के बाद प्रमुख दलों के उम्मीदवार स्थानीय न होकर दूसरे क्षेत्रों के ही रहे हालांकि सुरक्षित क्षेत्र होने के कारण यहां चुनावी घमासान कम रहा। वर्ष 2009 के चुनाव में जदयू के भूदेव चौधरी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के श्याम रजक को पराजित किया। इस चुनाव में श्री चौधरी को 178560 जबकि श्री रजक को 148763 मत प्राप्त हुये। इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में चिराग पासवान को 285354 मत जबकि उनके निकटम प्रतिद्वंद्वी राजद के सुधांशु शेखर भास्कर को 199407 वोट हासिल हुये।

सत्रहवें लोकसभा (वर्ष 2019) चुनाव के लिए राजद नीत महागठबंधन ने अभी तक उम्मीदवारों के नाम स्पष्ट नहीं किये हैं जबकि राजग की ओर से एक बार फिर चिराग पासवान ही रेस में है।

इस सीट पर कई बड़े नेताओं की नजर है। सुरक्षित सीट होने के कारण अनुसूचित जाति के कई बड़े नेता क्षेत्र से चुनावी किस्मत आजमाना चाहते हैं। इस सीट पर जदयू के कद्दावर नेता अशोक चौधरी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद भूदेव चौधरी, लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) के वरिष्ठ नेता एवं विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी समेत कई नेताओं की नजर है।

देखा जाए तो 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर ने लोजपा के चिराग पासवान की राह को आसान बना दिया था। साथ ही जदयू और राजद के अलग-अलग चुनाव लड़ने का लाभ भी लोजपा को लाभ मिला था।

जमुई संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत तीन विधानसभा क्षेत्र जमुई, झाझा और चकाई आते हैं। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जहां दो सीटों पर राजद का कब्जा रहा तो एक सीट भाजपा के खाते में गई। जमुई विधानसभा सीट पर राजद के विजय प्रकाश 66577 मत हासिल कर विजयी रहे जबकि उनके निकटम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अजय प्रताप को 58328 वोट मिले। वहीं, चकाई सीट पर भी राजद की सावित्री देवी ने निर्दलीय उम्मीदवार सुमित कुमार सिंह को 12113 मतों के अंतर से पराजित किया। झाझा सीट पर भाजपा के रवींद्र यादव 65537 वोट हासिल कर विजयी रहे वहीं जदयू के दामोदर रावत को 43451 मतों से संतोष करना पड़ा।

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साधारण और सादगीपूर्ण जीवन की लोकप्रियता ने मनोहर पर्रिकर को गोवा के साथ- साथ पूरे भारत में पहचान दी थी, बीमारी में भी ऊर्जा को भरकर चल बसे attacknews.in

पणजी, 17 मार्च । गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को अपने निजी आवास में निधन हो गया। वह 63 वर्ष के थे।

पर्रिकर के परिवार में दो पुत्र और उनका परिवार है।

राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने  बताया कि मुख्यमंत्री का निधन रविवार शाम छह बजकर चालीस मिनट पर हुआ।

पिछले एक साल से बीमार चल रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता का स्वास्थ्य दो दिन पहले बहुत बिगड़ गया था।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया है, ‘‘गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन की सूचना पाकर शोकाकुल हूं।’’ उन्होंने कहा कि पर्रिकर बेहद साहस और सम्मान के साथ अपनी बीमारी से लड़े।

उन्होंने लिखा है कि सार्वजनिक जीवन में वह ईमानदारी और समर्पण के मिसाल हैं और गोवा और भारत की जनता के लिए उनके काम को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

सूत्रों ने बताया कि पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर शनिवार देर रात से ही जीवनरक्षक प्रणाली पर थे।

पर्रिकर फरवरी 2018 से ही बीमार चल रहे थे

श्री पर्रिकर का जीवन सफर:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से देश के रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे मनोहर पर्रिकर की उनके तटीय गृह राज्य गोवा में छवि एक सीधे सादे, सामान्य व्यक्ति की रही है।

63 वर्षीय पर्रिकर ने चार बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री के तौर पर तीन वर्ष सेवाएं दीं।

भाजपा के सभी वर्गों के साथ ही विभिन्न पक्षों के बीच लोकप्रिय पर्रिकर ने लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहे गोवा में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी।

एक मध्यमवर्गीय परिवार में 13 दिसंबर 1955 को जन्मे पर्रिकर ने संघ के प्रचारक के रूप में अपना राजनीतिक करियर आरंभ किया था। उन्होंने आईआईटी-बंबई से इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद भी संघ के लिए काम जारी रखा।

पर्रिकर ने बहुत छोटी उम्र से आरएसएस से रिश्ता जोड़ लिया था। वह स्कूल के अंतिम दिनों में आरएसएस के ‘मुख्य शिक्षक’ बन गए थे। पर्रिकर ने संघ के साथ अपने जुड़ाव को लेकर कभी भी किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं की । उनका संघ द्वारा आयोजित ‘‘संचालन’’ में लिया गया एक फोटोग्राफ इसकी पुष्टि करता है, जिसमें वह संघ के गणवेश और हाथ में लाठी लिए नजर आते हैं।

आईआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 26 साल की उम्र में मापुसा में संघचालक बन गए।

उन्होंने रक्षा मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना के सर्जिकल हमले का श्रेय भी संघ की शिक्षा को दिया था।

ऐसा माना जाता है कि राज्य के सबसे पुराने क्षेत्रीय राजनीतिक दल ‘महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी’ की बढ़त रोकने के लिए भाजपा ने पर्रिकर को राजनीति में खींचा।

पर्रिकर ने चुनावी राजनीति में 1994 में प्रवेश किया, जब उन्होंने पणजी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता।

वह जून से नवंबर 1999 तक गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे और उन्हें तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार के खिलाफ उनके भाषणों के लिए जाना जाता था।

वह पहली बार 24 अक्टूबर 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री बने लेकिन उनका कार्यकाल केवल 27 फरवरी 2002 तक ही चला। इसके बाद पांच जून, 2002 को उन्हें फिर से चुना गया और उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में सेवाएं दीं।

चार भाजपा विधायकों के 29 जनवरी, 2005 को सदन से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई।

इसके बाद कांग्रेस के प्रतापसिंह राणे, पर्रिकर की जगह गोवा के मुख्यमंत्री बने। पर्रिकर के नेतृत्व वाली भाजपा को 2007 में दिगम्बर कामत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

बहरहाल, वर्ष 2012 राज्य में पर्रिकर की लोकप्रियता की लहर लेकर आया और उन्होंने अपनी पार्टी को विधानसभा में 40 में से 21 सीटों पर जीत दिलाई।

वह फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने । भाजपा की जीत की लय वर्ष 2014 में भी बनी रही जब पार्टी को आम चुनाव में दोनों लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई।

केंद्र में मोदी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण करने के बाद पर्रिकर को नवंबर 2014 में रक्षा मंत्री का पद दिया गया। वह 2017 तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे। गोवा विधानसभा चुनाव में पार्टी के बहुमत हासिल नहीं कर पाने पर वह मार्च 2017 में राज्य लौटे और गोवा फॉरवर्ड पार्टी एवं एमजीपी जैसे दलों को गठबंधन सहयोगी बनाने में कामयाब रहे। राज्य में एक बार फिर उनकी सरकार बनी।

फरवरी, 2018 के बाद से उनकी तबियत खराब रहने लगी। उन्हें तब अग्नाशय संबंधी बीमारी के उपचार के लिए मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह मार्च के पहले सप्ताह में इलाज के लिए अमेरिका गए जहां वह जून तक अस्पताल में रहे।

राज्य लौटने के बाद पर्रिकर ने फिर से काम करना आरंभ कर दिया और वह 12 दिवसीय विधानसभा सत्र में भी शामिल हुए। अगस्त के दूसरे सप्ताह में वह फिर से उपचार के लिए अमेरिका गए और कुछ दिनों बाद लौटे। वह फिर से अमेरिका गए और इस बार वहां से लौटने पर उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया।

पिछले कुछ समय से वह अपने डाउना पौला के अपने निजी आवास तक ही सीमित थे और यहीं पर उन्होंने आज अंतिम सांस ली।

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कांग्रेस पार्टी का गढ़ रही मध्यप्रदेश की मंडला संसदीय सीट 5 चुनावों से भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते के नाम है लेकिन इस बार आसान नहीं है attacknews.in

मंडला, 17 मार्च । लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित मध्यप्रदेश की मंडला संसदीय सीट को आजादी के करीब सात दशक बाद भी महिला प्रतिनिधित्व की दरकार है।

वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के फग्गन सिंह कुलस्ते सांसद हैं। मंडला संसदीय सीट पर पांच बार भाजपा ने जीत हासिल की है और हर बार पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री कुलस्ते ने ही उसे यहां से जीत दिलायी। वह 1996 से 2004 तक लगातार वह यहां से सांसद चुने गए। वर्ष 2009 में कांग्रेस के बसोरी सिंह ने उनसे ये सीट छीन ली, लेकिन अगले ही चुनाव में साल 2014 में श्री कुलस्ते फिर से यहां काबिज हो गए। मंडला जिला आदिवासी बहुल इलाका है और इस क्षेत्र के लोग कृषि पर सबसे ज्यादा निर्भर हैं। जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों की आबादी अच्छी खासी है।

इस सीट के चुनाव इतिहास पर नजर डाली जाये तो 1957 यहां पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के मंगरू गनू उइके सांसद चुने गए। वह 1971 तक यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे ।

कांग्रेस काे 1977 के चुनाव में यहां पहली बार हार का सामना करना पड़ा । भारतीय लोकदल पहली बार इस सीट को जीतने में कामयाब रही। कांग्रेस ने 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की और 1991 तक अपना कब्जा बरकरार रखा। कांग्रेस कुल मिलाकर नौ बार इस सीट पर जीती है।

वर्ष 1996 से यहां श्री कुलस्ते का जादू चलना शुरु हुआ और वह लगातार चार चुनाव जीते। उन्हें 2009 में हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस के बासोरी सिंह ने कुलस्ते को शिकस्त दी थी। बासोरी सिंह को 3,91,113 वोट तथा श्री कुलस्ते को 3,26,080 वोट मिले। श्री कुलस्ते ने मोदी लहर में उन्होंने 2014 में यहां फिर वापसी की। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के ओमकार सिंह को हराया था। श्री कुलस्ते को 5,85,720 तथा ओमकार सिंह को 4,75,521 वोट मिले थे.

मंडला संसदीय क्षेत्र में शहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, मंडला, केवलारी, लखनादौन और गोटेगांव विधानसभा सीट शामिल हैं। वर्तमान में इनमें से छह पर कांग्रेस और दो पर भाजपा का कब्जा है। यहां चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होगा।

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1967 में इंदिरा गांधी के राजनीति में आने के साथ ही हुए चौथे लोकसभा चुनाव में 25 करोड़ मतदाताओं ने 283 सीटों पर कांग्रेस को जिताया था attacknews.in

नयी दिल्ली 17 मार्च । वर्ष 1967 में हुये चौथे लोकसभा चुनाव के पहले देश का पूरा राजनीतिक स्वरुप बदल चुका था, एक ओर जहां देश को चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध का सामना करना पड़ा वहीं देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु आैर उनका स्थान लेने वाले लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया और कांग्रेस में इंदिरा गांधी नेतृत्वकारी भूमिका में उभर रही थीं।

इन ऐतिहासिक धटनाओं के बाद हुये लोकसभा के 520 सीटों के लिए हुये चुनाव में कांग्रेस में 283 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के दर्जे को बरकरार रखने में कामयाब रही थी हालांकि उसकी सीटों में कमी आयी । स्वतंत्र पार्टी 44 सीटें जीत कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी थी ।

लोकतंत्र के इस महापर्व में अटल बिहारी वाजपेयी , राम मनोहर लोहिया , जार्ज फर्नाडीस , जगजीवन राम और श्रीपाद अमृत डांगे जैसे चोटी के नेता विजयी हुये थे ।

लोकसभा के 520 सीटों में से 406 सामान्य वर्ग के लिए थी जबकि 77 अनुसूचित जाति तथा 37 अनुसूचित जनजाति के लिये सुरक्षित थी।

इस चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढकर 25 करोड़ दो लाख से अधिक हो गयी थी जिनमें से 61.04 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर 2369 उम्मीदवारों के चुनावी किस्मत का फैसला किया था । इस चुनाव में प्रति सीट औसतन 4.56 उम्मीदवार थे । उत्तर प्रदेश में एक निर्वाचन क्षेत्र में अधिकतम 14 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था ।

कांग्रेस , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , जनसंघ , प्रजा सोसलिस्ट पार्टी , संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी और स्वतंत्र पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त था जबकि अकाली दल (मास्टर तारा सिंह) अकाली दल (संत फतेह सिंह ) आल पार्टी हिल लीडर्स कांफ्रेंस , बंगला कांग्रेस , डेमोक्रेटिक नेशनल कांफ्रेंस , फारवर्ड ब्लाक ,केरल कांग्रेस , मुस्लिम लीग , नागालैंड नेशनलिस्ट आर्गनाइजेशन , पीजेंट एंड वर्कर पार्टी , तथा यूनाइटेड गोवंस को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त था । पंजीकृत पार्टियों में जन कांग्रेस , जन क्रांति दल , जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स फ्रंट शामिल थी ।

कांग्रेस ने इस चुनाव में 516 , जनसंघ ने 249 , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 109 , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 69 , प्रजा सोसलिस्ट पार्टी ने 109 , संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी ने 122 और स्वतंत्र पार्टी ने 178 उम्मीदवार खड़े किये थे ।

राष्ट्रीय पार्टियों की ओर से कुल 1342 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गये थे जिनमें से 440 जीतने में सफल रहें । इन पार्टियों को 76.13 प्रतिशत वोट मिले थे । राज्य स्तरीय पार्टियों ने 148 तथा पंजीकृत पार्टियों ने 13 उम्मीदवार लड़ये थे । इसके अलावा 866 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव लड़ा था ।

कांग्रेस को कुल 40.78 प्रतिशत वोट मिला था और उसके 283 उम्मीदवार निर्वाचित हुयें थे जबकि स्वतंत्र पार्टी को 8.67 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 44 उम्मीदवार चुनाव जीते थे । जनसंघ के 35 , भाकपा के 23 , माकपा के 19 , प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के 13 और संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी के 23 प्रत्याशी विजयी हुये थे । निर्दनीय उम्मीदवारों ने 13.78 प्रतिशत वोट हासिल किया था और 35 प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब हुये थे ।

कांग्रेस को आन्ध्र प्रदेश में 35 , असम में 10 , बिहार में 34 , गुजरात में 11 , हरियाणा में सात , जम्मू कश्मीर में पांच , मध्य प्रदेश में 24 , मद्रास में तीन , महाराष्ट्र में 37 , मैसूर में 18 , उड़िसा में छह , पंजाब में नौ , राजस्थान में 10 , उत्तर प्रदेश में 47 , पश्चिम बंगाल में 14 , हिमाचल प्रदेश में छह , त्रिपुरा में दो तथा केरल , अंडमान निकोबार , दादर नागर हवेली , दिल्ली और पांडिचेरी में एक – एक सीट पर जीत मिली थी ।

स्वतंत्र पार्टी को गुजरात में सबसे अधिक 12 तथा राजस्थान और उड़िसा में आठ – आठ सीटें मिली थी । उसे आन्ध्र प्रदेश में तीन , मध्य प्रदेश में एक , मद्रास में छह , मैसूर में पांच और उत्तर प्रदेश में चार सीटें मिली थी । जनसंघ को बिहार में एक , हरियाणा में एक , मध्य प्रदेश में दस , पंजाब में एक , राजस्थान में तीन , उत्तर प्रदेश में 12 , चंडीगढ में एक तथा दिल्ली में छह सीटें मिली थी ।

भाकपा को आन्ध्र प्रदेश में एक , असम में एक , बिहार में पांच , महाराष्ट्र में दो , उत्तर प्रदेश में पांच , पश्चिम बंगाल में चार , केरल में तीन , और मणिपुर में एक सीट मिली थी । माकपा को मद्रास में चार , उत्तर प्रदेश में एक , पश्चिम बंगाल में पांच और केरल में नौ सीटें मिली थी । अकाली दल संत फतेह सिंह गुट को पंजाब में तीन स्थानों पर कामयाबी मिली थी । द्रविड़ मुनेत्र कषगम को मद्रास में भारी सफलता हाथ लगी थी और उसने 25 सीटों पर कब्जा कर लिया था।

संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी को बिहार में सात , महाराष्ट्र में दो , मैसूर में एक , उड़िसा में एक , उत्तर प्रदेश में आठ , पश्चिम बंगाल में एक तथा केरल में तीन लोकसभा क्षेत्रों में जीत हासिल हुयी थी । प्रजा सोसलिस्ट पार्टी को असम में दो , बिहार में एक , महाराष्ट्र में एक , मैसूर में दो , उड़िसा में चार तथा उत्तर प्रदेश में दो स्थानों पर सफलता मिली थी ।

निर्दलीय उम्मीदवारों को सबसे अधिक आठ सीटों पर उत्तर प्रदेश में कामयाबी मिली थी जबकि पश्चिम बंगाल में सात , बिहार में चार , राजस्थान और मध्य प्रदेश में दो- दो तथा कुछ अन्य स्थानों पर सफला मिली थी ।

कांग्रेस की श्रीमती इंदिरा गांधी ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और निर्दलीय बी सी सेठ को भारी मतों के अंतर से पराजित किया था । श्रीमती गांधी को 143602 और श्री सेठ को 51899 वोट मिले थे । जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेयी ने बलरामपुर में कांग्रेस के एस जोशी को करीब 32 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था । श्री वाजपेयी को 142446 वोट मिले थे ।

समाजजवादी विचारक राम मनोहर लोहिया कन्नौज से संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुये थे । उन्होंने कांग्रेस के एस एन मिश्र को मामूली मतों के अंतर से पराजित किया था । भाकपा के दिग्गज नेता इन्द्रजीत गुप्त पश्चिम बंगाल में अलीपुर सीट पर कांग्रेस के पी सरकार से काफी कम मतों अंतर से जीत गये थे । इसी पार्टी के श्रीपाद अमृत डांगे बाम्बे सेट्रल साउथ सीट पर जीत गये थे ।

मजदूर नेता जार्ज फर्नाडीस संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी के टिकट पर बाम्बे साउथ सीट से जीत गये थे । श्री फर्नाडीस ने कांग्रेस के एस के पाटिल को हराया था । श्री फर्नाडीस को 147841 और श्री पाटिल को 118407 वोट मिले थे । कांग्रेस के वरिष्ठ नेत जगजीवन राम बिहार में सासाराम (सु) सीट पर संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार एस राम से जीत गये थे । श्री जगजीवन राम को 149355 तथा श्री एस राम को 38689 वोट मिले थे ।

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चीन की ओर से जैश- ए- मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का मामला सुलझाने के संकेत attacknews.in

नयी दिल्ली, 17 मार्च । चीन ने रविवार को कहा कि जैश -ए -मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध केवल तकनीकी वजह से अटका है और बातचीत के बाद यह मामला सुलझ जाएगा।

चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने चीनी दूतावास में होली मिलन समारोह के दौरान संवाददाताओं से कहा कि मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति के दायरे में लाने का मामला सुलझ जाएगा। यह केवल तकनीकी वजह से अटका है। इस पर कुछ और बातचीत होनी है और यह मामला सुलझ जाएगा।

चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने होली के पावन पर्व पर भारत और चीन के रिश्तों तथा दोनों देशों की जनता की तरक्की एवं समृद्धि तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

श्री लुओ ने चीन के राज दूतावास में रविवार को आयोजित होली मिलन समारोह में कहा कि चीनी दूतावास परिसर में इस वर्ष होली के रूप में दूसरी बार वसंतोत्सव मनाया जा रहा है। गत माह चीनी चंद्र नववर्ष का आयोजन किया गया था।

उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास और संस्कृति बहुत पुरानी है। इससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। दोनों देशों की संस्कृति बहुत करीब है। होली का त्योहार इसका एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस पर्व पर उनकी कामना है कि दोनों देशों के लोगों के जीवन में खुशहाली एवं समृद्धि आये।

उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में चीन ने बहुत तरक्की की है। चीन करीब 140 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गया है और भारत ने भी काफी प्रगति की है। दोनों देशों में विश्व की लगभग एक तिहाई आबादी रहती है। यह कामना है कि नये भारत में लोगों की समृद्धि एवं जीवन स्तर में वृद्धि हो। इसी के साथ भारत चीन संबंधों का उज्जवल भविष्य बने।

होली मिलन समारोह का आयोजन चीन के राज दूतावास और कन्फेडरेशन ऑफ यंग लीडर्स ने संयुक्त रूप से किया था। इस मौके पर दूतावास के राजनयिकों के परिजनों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में कन्फेडरेशन ऑफ यंग लीडर्स के प्रमुख एवं ब्रिक्स चेंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी समीप शास्त्री, ब्रिक्स चेंबर ऑफ कॉमर्स के कोषाध्यक्ष एवं समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज आॅफ इंडिया के निदेशक मंडल के अध्यक्ष विश्वास त्रिपाठी, विभिन्न देशों के राजदूत, चीनी दूतावास के अधिकारी एवं कर्मचारी, पत्रकार तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की 91 सीटों पर सोमवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही देश में चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत attacknews.in

नयी दिल्ली, 17 मार्च । लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 91 सीटों के लिए सोमवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही आम चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।

इसके अलावा आँध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभाओं की सभी सीटों तथा ओडिशा की 147 में से 28 सीटों के लिए भी अधिसूचना 18 मार्च की ही जारी होनी है। अधिसूचना जारी होने के बाद उम्मीदवार उसी दिन से नामांकन पत्र भर सकेंगे।

इस बार लोकसभा की 543 सीटों के लिए मतदान सात चरणों में होना है जिसमें पहले चरण के लिए 11 अप्रैल को वोट डाले जायेंगे। इसके लिए 18 मार्च को अधिसूचना जारी की जायेगी। इस चरण में 20 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की 91 सीटों के लिए नामांकन पत्र भरने की आखिरी तारीख 25 मार्च है। नामांकन पत्रों की जाँच 26 मार्च को होगी और 28 मार्च तक नाम वापस लिये जा सकेंगे। सभी सातों चरणों के लिए मतगणना 23 मई को होगी।

पहले चरण के तहत आँध्र प्रदेश की सभी 25, उत्तर प्रदेश की आठ, महाराष्ट्र की सात, असम और उत्तराखंड की पाँच-पाँच, बिहार और ओडिशा की चार-चार, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर की दो-दो तथा छत्तीसगढ़, मिजोरम, सिक्कम, त्रिपुरा, मणिपुर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लद्दाख की एक-एक लोकसभा सीटों के लिए मतदान होने हैं।

आँध्र प्रदेश विधानसभा की सभी 175, अरुणाचल प्रदेश की सभी 60, सिक्किम की सभी 32 और ओडिशा की 147 में से 28 विधानसभा सीटों के लिए पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है। इनके लिए भी 18 मार्च को ही अधिसूचना जारी होगी तथा अन्य चुनाव कार्यक्रम भी पहले चरण की लोकसभा सीटों के अनुरूप ही होंगे।

चुनावों की घोषणा 10 मार्च को की गयी थी और तत्काल प्रभाव से देश भर में आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी है। दूसरे चरण में मतदान 18 अप्रैल को, तीसरे चरण में 23 अप्रैल को, चौथे चरण में 29 अप्रैल को, पाँचवें चरण में 06 मई को, छठे चरण में 12 मई को और सातवें चरण में 19 मई को होना है।

पारदर्शी चुनाव करवाना चुनौती बना:

चुनाव आयोग ने कहा है कि देश में पूरी तरह पारदर्शी एवं स्वच्छ चुनाव कराना अभी भी एक चुनौती बनी हुई है क्योंकि इसमें धन-बल का इस्तेमाल किया जा रहा है।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने  यहां केंद्रीय कर बोर्डों, अर्द्ध सैनिक बलों और अन्य आर्थिक एजेंसियों के पदाधिकारियों के साथ बैठक में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में आर्थिक पर्यवेक्षकों की तत्परता और कार्रवाइयों से अधिक धन जब्त किया गया है जिससे चुनाव में गड़बड़ियों पर काफी अंकुश लगा है लेकिन अभी पूरी तरह से यह समस्या सुलझी नहीं है।

उन्होंने इन अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे चुनाव को स्वच्छ बनाने के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दें और संयुक्त तथा संगठित रूप से कार्य करते हुए इसे अंजाम दें।

बैठक को चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चन्द्र ने भी संबोधित किया।

आयोग ने चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से सम्पन्न करने के लिए गुरुवार को पर्यवेक्षकों की बैठक की थी जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों ने भाग लिया था।

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कई मंत्रियों ने अपने नाम के आगे चौकीदार लगाया और नरेन्द्र मोदी ने नाम बदलकर चौकीदार नरेन्द्र मोदी कर लिया attacknews.in

नयी दिल्ली, 17 मार्च । लोकसभा चुनाव में “चौकीदार” पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों की बयानबाजी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों ने ट्विटर पर अपने नामों के आगे “चौकीदार” लगा लिया है।

श्री मोदी ने ट्विटर अपने निजी अकाउंट “एटनरेंद्रमोदी” में अपना नाम “नरेंद्र मोदी” से बदलकर “चौकीदार नरेंद्र मोदी” कर लिया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी अपना नाम “चौकीदार अमित शाह” कर लिया है।

केंद्रीय मंत्रियों में रेल मंत्री पीयूष गोयल, स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने ट्विटर पर उनके नामों के आगे चौकीदार शब्द जोड़ लिया है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तथा राज्यसभा सांसद अनिल जैन भी इस मुहिम में शामिल हो गये हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले काफी दिनों से प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचारियों का साथ देने का आरोप लगाते हुये विपक्षी कांग्रेस “चौकीदार चोर है” की बात दुहरा रही है। इसके जवाब में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा था “आपका चौकीदार दृढता से खड़ा है और देश की सेवा कर रहा है। लेकिन मैं अकेला नहीं हूँ। हर व्यक्ति जो भ्रष्टाचार, गंदगी और सामाजिक बुराइयों से लड़ रहा है, चौकीदार है। भारत की प्रगति के लिए परिश्रम करने वाला हर व्यक्ति चौकीदार है। आज हर भारतीय कह रहा है – मैं भी चौकीदार।”

उनके इस ट्वीट के बाद मोदी मंत्रिमंडल में चौकीदार अभियान शुरू हुआ है। हालाँकि, खबर लिखे जाने तक गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य एवं व्यापार मंत्री सुरेश प्रभु, वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान, शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, संचार मंत्री मनोज सिन्हा, गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर ट्विटर पर “चौकीदार” अभियान में शामिल नहीं हुई थीं।

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भाजपा से रुख़सत हुए बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा का फिल्मी दुनिया से लेकर राजनीति में ऐसा रहा है सफर attacknews.in

नयी दिल्ली, 17 मार्च । अपनी दमदार आवाज और अनूठी अदा से अपने विरोधियों एवं प्रतिद्वंद्वियों को अक्सर ‘‘खामोश’’ कराते रहे शत्रुघ्न सिन्हा पिछले करीब पांच साल से भाजपा में अपनी अनदेखी के खिलाफ पार्टी के भीतर और बाहर अपने बागी तेवर और तीखे तंजों से आक्रामक रहे हैं। पार्टी के खिलाफ उनकी इस मुखरता से 2019 लोकसभा चुनाव में ‘‘बिहारी बाबू’’ को टिकट नहीं मिलना लगभग तय है और पार्टी से उनके अलविदा कहने की भी प्रबल संभावना प्रतीत हो रही है।

स्वयं सिन्हा ने भाजपा छोड़ने का हाल में संकेत देते हुए ट्वीट किया, ‘‘ जनता से किए गए वादे अभी पूरे होने बाकी हैं…मोहब्बत करने वाले कम न होंगे, तेरी महफिल में लेकिन हम न होंगे।’’ ट्वीट में उनका संकेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ है।

पटना साहिब से भाजपा सांसद सिन्हा ने साल 1969 में फिल्म ‘साजन’ से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी। सिन्हा ऐसे मंझे हुए अभिनेता हैं कि उन्होंने खलनायक और नायक, दोनों के किरदारों में कई ब्लॉकबास्टर फिल्में दीं और उनके ‘अबे खामोश….’ जैसे अनेक संवादों ने बॉलीवुड में धूम मचाई।

सिन्हा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार वह 1974 में पहली बार लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सम्पर्क में आये। जयप्रकाश के व्यक्तित्व ने उन्हें राजनीति के माध्यम से सार्वजनिक जीवन उतरकर जन कल्याण के कार्यों में संलग्न होने के लिए प्रेरित किया।

फिल्मी जीवन की तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वह 1980 दशक के मध्य से ही स्टार प्रचारक के रूप में भाजपा की चुनावी रैलियों में उतरने लगे थे। उन्होंने 1992 में नयी दिल्ली लोकसभा की प्रतिष्ठित सीट से पहली बार अपनी चुनावी किस्मत आजमायी थी। यह चुनाव कई मामलों में ऐतिहासिक और पूरे देश की रुचि का केन्द्र बन गया था। इससे पहले भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसी सीट पर अपने समय के सुपरस्टार एवं कांग्रेस प्रत्याशी राजेश खन्ना को परास्त किया था। किंतु चुनाव जीतने के बाद आडवाणी ने नयी दिल्ली सीट छोड़ दी थी क्योंकि वह गांधीनगर लोकसभा सीट से भी निर्वाचित हुए थे।

इसके बाद नयी दिल्ली लोकसभा के लिए हुए उप चुनाव में राजेश खन्ना कांग्रेस के प्रत्याशी और शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा का प्रत्याशी बनाया गया। किंतु सिन्हा की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वह खन्ना के हाथों हार गये। बाद में वह 1996 एवं 2002 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके बाद वह 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव पटना साहिब संसदीय क्षेत्र से जीते।

सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में स्वास्थ्य एवं जहाजरानी मंत्री रहे और वह मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री बनने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लालकृष्ण आडवाणी के करीबी माने जाने वाले सिन्हा ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना प्रत्यक्ष और परोक्ष ढंग से करने में कोई परहेज नहीं किया।

‘बिहारी बाबू’ कहे जाने वाले सिन्हा कभी बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सपना भी देखते थे लेकिन बिहार में उनकी जगह सुशील कुमार मोदी जैसे नेताओं को ज्यादा महत्व दिया गया। भाजपा नेतृत्व ने 2015 में बिहार में चुनाव के दौरान शत्रुघ्न सिन्हा को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। यहां तक कि उन्हें भाजपा की ओर से स्टार प्रचारक तक नहीं बनाया गया।

सिन्हा, पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी के साथ मोदी सरकार के मुखर विरोधी रहे। किंतु भाजपा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने में ‘‘खामोश’’ ही रही है। जाहिर है कि पार्टी उन्हें निष्कासित करने जैसा कोई कदम उठाकर उन्हें ‘‘राजनीतिक शहीद’’ नहीं बनाना चाहती।

ऐसी अटकलें हैं कि राजद और कांग्रेस नीत विपक्षी महागठबंधन सिन्हा को पटना साहिब लोकसभा सीट से मैदान में उतार सकता है।

वर्ष 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सजा के मुद्दे पर भी शॉटगन ने पार्टी लाइन से इतर जाकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजी गई एक दया याचिका पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने बालाकोट आतंकी शिविर पर भारत के हवाई हमले को लेकर सरकार से ब्योरा जारी करने की मांग की थी और बड़ी संख्या में आतंकियों के मारे जाने के दावे को ‘‘तमाशा’’ करार दिया था।

शॉटगन हाल ही में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी की विपक्षी दलों की महा-रैली में शामिल हुए थे। वहां उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे पर पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा था , ‘‘खामोश।’’

सिन्हा ने 2016 में अपनी आत्मकथा ‘एनीथिंग बट खामोश’ में अपनी निजी, फिल्मी और राजनीतिक जिन्दगी से जुड़े कई राज खोले थे। उन्होंने इस किताब में कहा कि अमिताभ बच्चन उनकी शोहरत से परेशान थे। उनकी वजह से उन्हें कई फिल्में छोड़नी पड़ीं। सिन्हा ने कहा कि अभिनेत्री जीनत अमान और रेखा की वजह से उनके तथा बच्चन के बीच दरार बढ़ी।

किताब में उन्होंने 1992 में नयी दिल्ली लोकसभा सीट पर राजेश खन्ना से उपचुनाव हार जाने को बेहद निराशाजनक क्षणों में से एक बताया था।

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भाजपा की पहली सूची में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों के नाम attacknews.in

नयी दिल्ली, 16 मार्च । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केंद्रीय चुनाव समिति की शनिवार शाम को हुई बैठक में करीब 12 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा हुई।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज, केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री किरण रिजीजू पहुंचे। अंतिम सूचना मिलने तक बैठक जारी थी।

भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति ने शनिवार को बिहार, उत्‍तराखंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्‍ट्र, जम्‍मू-कश्‍मीर और अंडमान निकोबार के उम्‍मीदवारों पर चर्चा की।

बैठक के बाद पार्टी के लोकसभा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की जाएगी । इस सूची में अधिकांश प्रत्याशी 11 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के चुनाव क्षेत्रों के होने की संभावना है।

चुनाव आयोग के कार्यक्रम के मुताबिक, 11 अप्रैल को पहले चरण में 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। दूसरे चरण में 18 अप्रैल को 13 राज्यों की 97 सीटों के लिए मतदान होगा। तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। चौथे चरण में 29 अप्रैल को नौ राज्यों की 71 सीटों के लिए मतदान होगा। पांचवें चरण में छह मई को सात राज्यों की 51 लोकसभा सीटों पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। छठा चरण 12 मई को होगा जिसमें सात राज्यों की 59 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। सातवें चरण का मतदान 19 मई को होगा जिसमें आठ राज्यों की 59 सीटों के लिए वोटिंग होगी।

सभी सीटों पर मतगणना 23 मई को होगी!

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छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद सुनील गुप्ता ने 50 करोड़ रुपये की शासकीय राशि का कर दिया घोटाला, पुलिस प्रकरण दर्ज attacknews.in

रायपुर 16 मार्च। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के दामाद डा.पुनीत गुप्ता के खिलाफ पुलिस ने 50 करोड़ रूपए की आर्थिक अनियमितता एवं धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया है।

पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि राजधानी स्थित डी.के.एस पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीटयूट एवं रिसर्च सेन्टर के अधीक्षक डा.कमल किशोर सहारे की लिखित शिकायत पर गोल बाजार थाने की पुलिस ने कल मामला दर्ज कर लिया है।पुलिस में दर्ज करवाई गई प्राथमिकी में 14 दिसम्बर 15 से 02 अक्टूबर 18 तक श्री गुप्ता पर डी.के.एस पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीटयूट एवं रिसर्च सेन्टर के अधीक्षक रहते नियम विरूद्द कार्य किए जाने,अपात्र लोगो की भर्ती किए जाने का आरोप लगाया गया है।

प्राथमिकी के अनुसार डा.गुप्ता पर लगे आरोपो की राज्य सरकार द्वारा समिति गठित कर जांच करवाई गई।इस समिति ने भौतिक सत्यापन कर आरोपो को सही पाया.समिति ने राज्य सरकार को जांच प्रतिवेदन सौंपा जिसमें प्रमाणित हुआ कि डा.गुप्ता ने अपने पद तथा पहुंच का लाभ उठाते हुए 50 करोड रूपए की शासकीय राशि का फर्जीवाड़ा कर आर्थिक अनियमितता की है।पुलिस ने डा.गुप्ता के खिलाफ धारा 409,420,467,468 एवं 120 बी के तहत मामला दर्ज कर उसे विवेचना में लिया है।
राज्य शासन के मंत्रालय के नया रायपुर में जाने के बाद खाली हुए भवन में डा.गुप्ता की देखरेख में डी.के.एस पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीटयूट एवं रिसर्च सेन्टर की स्थापना हुई थी।इसे सुपर स्पेशलिटी निजी अस्पताल जैसा स्वरूप देने का कार्य हुआ था।इसकी साजसज्जा आदि में पानी की तरह पैसा बहाया गया था।विपक्ष में रहते यहां धन के दुरूपयोग मशीनों एवं कर्मचारियों की भर्तियों आदि में अनियमितता के मामले कांग्रेस ने जोर शोर से उठाए थे।

डा.गुप्ता पर राज्य के चर्चित अंतागढ़ कांड में भी मामला दर्ज हुआ है।इस कांड की जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी गठित की है।अंतागढ़ विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी ने नाम वापसी के अन्तिम क्षणों में नाम वापस लेकर भाजपा को वाकओवर दे दिया था।आरोप है कि इस मामले में हुए कथित लेनदेन में डा.गुप्ता भी शामिल थे।इस मामले का एक आडियो टेप भी सामने आया था।

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मध्यप्रदेश की बाहुबली लोकसभा सीट खजुराहो से दिग्गज नेताओं ने अपना भविष्य बनाया, अब यहाँ होगी भाजपा और कांग्रेस के बीच कडी टक्कर attacknews.in

खजुराहो, 16 मार्च । अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित मध्यप्रदेश के खजुराहो से भले ही भारतीय जनता पार्टी की उमा भारती और कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी जैसे कद्दावर नेताओं ने संसद की राह बनाई हो, लेकिन विकास की दृष्टि से समूचा संसदीय क्षेत्र अब तक हाशिए पर है।

तीन जिलों पन्ना, छतरपुर और कटनी में फैले खजुराहो संसदीय क्षेत्र में 2014 के आम चुनाव में भाजपा के नागेंद्र सिंह सांसद चुने गए थे। उन्होंने बुंदेलखंड के कद्दावर कांग्रेस नेता राजा पटेरिया को शिकस्त दी थी। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में नागेंद्र सिंह को पार्टी ने नागौद विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया, जहां से उन्होंने जीत हासिल की। उनके विधायक चुने जाने के बाद पार्टी को अब इस सीट पर किसी अन्य प्रत्याशी की तलाश है।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र की यह संसदीय सीट बीते लगभग ढाई दशक से भाजपा का मजबूत गढ़ बनी हुई है। उमा भारती ने 1989 के चुनाव में कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी की मां विद्यावती चतुर्वेदी को शिकस्त दी लेकिन इससे पहले 1984 के चुनाव में उन्हें विद्यावती के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। सुश्री भारती ने यहां से 1991, 1996 और 1998 में भी जीत दर्ज की। वह चार बार यहां से संसद पहुंची। कांग्रेस ने 1999 में वापसी की जब सत्यव्रत चतुर्वेदी यहां से चुनाव जीत कर सांसद बने।

परिसीमन के बाद इस संसदीय क्षेत्र से 2004 से लेकर 2014 तक लगातार भाजपा को ही जीत हासिल हुई है। वर्ष 2004 में रामकृष्ण कुसमरिया यहां से चुनाव जीते। भाजपा ने 2009 प्रत्याशी बदल कर जीतेन्द्र सिंह बुन्देला को उतारा। उन्होंने कांग्रेस के राजा पटेरिया को कड़े मुकाबले में 28 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। वर्ष 2014 में भाजपा प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह ने बाहरी प्रत्याशी होने के बावजूद राजा पटेरिया को हार का मुंह दिखाया।

इस संसदीय क्षेत्र में जहां एक ओर बाहुबल और जातिवाद का बोलबाला रहता है, वहीं विकास का मुद्दा आमतौर पर हाशिए पर ही रहा है। विकास के मामले में हमेशा से उपेक्षित रहे इस क्षेत्र का देश के पर्यटन मानचित्र पर खासा दबदबा है। खजुराहो के मंदिर जहां देश-दुनिया के इतिहासकारों को आकर्षित करते हैं, वहीं इसी संसदीय क्षेत्र में आने वाला पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों का समृद्ध कुनबा समूचे देश में ‘वाइल्ड लाइफ टूरिज्म’ का एक अहम केंद्र है।

खजुराहो में चांदला, राजनगर, पवई, गुन्नौर, पन्ना, विजयराघवगढ़, मुड़वारा और बहोरीबंद विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इनमें से छह सीटों पर भाजपा और दो पर कांग्रेस का कब्जा है। इस संसदीय क्षेत्र में पांचवें चरण में छह मई को मतदान होगा।

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राहुल गांधी द्वारा मसूद अजहर जी बोले जाने का मुकदमा दायर, 23 मार्च को सुनवाई attacknews.in

बदायूँ, 16 मार्च । जैश ए मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को कथित रूप से ‘जी’ संबोधित किये जाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ यहां की एक अदालत में परिवाद दायर किया गया है। मामले की सुनवाई 23 मार्च को होगी।

छह अधिवक्ताओं द्वारा दायर परिवाद में दलील दी गयी है कि श्री गाँधी ने 11 मार्च को मोस्ट वांटेड आतंकी अजहर मसूद को “जी” कह कर संबोधित किया। इसलिये उन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाये।

वादी अधिवक्ता दिवाकर वर्मा का कहना है कि 11 अप्रैल को नई दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा था “ पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 से 45 जवान शहीद हो गए थे, सीआरपीएफ बस पर किसने बम फोड़ा। जैश-ए-मोहम्मद… मसूद अजहर ने… आपको याद होगा ना। यह वही मसूद अजहर है, जिसे 56 इंच वालों की तब की सरकार ने एयरक्राफ्ट में “मसूद अजहर जी” के साथ बैठकर अजीत डोभाल कंधार में हवाले करके आ गए थे। ”

उन्होने बताया कि उक्त प्रकरण में बदायूं स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में राहुल गाँधी के विरुद्ध परिवाद दायर किया गया है जिसमें उल्लेख किया गया है कि राहुल गांधी द्वारा किये गए इस कृत्य से देश का अपमान हुआ है और उनका यह कथन देश की सीमाओं पर शहीद होने वाले हमारे सैनिकों की शहादत का मजाक उड़ाने जैसा है। श्री गांधी का यह कृत्य असहनीय और देशद्रोह है जो मन को अत्यंत ही पीड़ा देने वाला है और देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ है।

वकील ने कहा कि राहुल गाँधी द्वारा अभी तक अपने बयान पर खेद प्रकट ना करना यह साबित करता है कि उन्होने जानबूझकर जघन्य अपराध किया है जो देशद्रोह की श्रेणी में आता है अतः कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ देशद्रोह की धारा 124 ए के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत कर उचित कानूनी कार्यवाही की जाए।

प्रभारी सीजेएम/एसीजेएम संगीता द्वारा परिवाद स्वीकार कर लिया गया है और सुनवाई के लिए 23 मार्च की तारीख नियत की गई है।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने 53 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया attacknews.in

नयी दिल्ली 16 मार्च । राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने लोकगायिका तीजन बाई, चिकित्सक अशोक लक्ष्मणराव कुकडे, पर्वतारोही बचेन्द्री पाल, अभिनेता मनोज वाजपेयी, फुटबॉल खिलाड़ी सुनील छेत्री और क्रिकेटर गौतम गंभीर समेत 53 जानी-मानी हस्तियों को शनिवार को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में तीजन बाई और लार्सन एंड टूब्रो के कार्यकारी अध्यक्ष अनिलकुमार मणिभाई नायक को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। जिबूती के राष्ट्रपति इस्माइल ओमर गेलेह पद्म विभूषण प्राप्त करने के लिए समारोह में उपस्थित नहीं हो सके।

छह हस्तियों को पद्मभूषण दिया गया। अन्य 48 हस्तियों को पद्मश्री दिया जाना था, जिनमें तीन समारोह में नहीं आ सके। डॉ. कुकडे और श्रीमती पाल के अलावा एमडीएच मसाले के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी, आरएसएस से जुड़े समाजसेवी दर्शन लाल जैन, वैज्ञानिक शंकरलिंगम नंबी नारायण और पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विजय कृष्ण शुंग्लू को पद्म भूषण दिया गया।

पद्मश्री पाने वालों में अभिनेता मनोज वाजपेयी, क्रिकेटर गौतम गंभीर, फुटबॉल खिलाड़ी सुनील छेत्री, पर्वतारोह बचेन्द्री पाल, जानेमाने सर्जन रामास्वामी वेंकटस्वामी, उत्तर प्रदेश के लोकगायक हीरालाल यादव, किसान और साथी किसानों को प्रशिक्षण देने वाले भारत भूषण त्यागी, पत्रकार देवेंद्र स्वरूप (मरणोपरांत), पुरातत्त्वविद शारदा श्रीनिवासन, बास्केटबॉल खिलाड़ी प्रशांति सिंह, फोटो-कलाकार और पर्वतारोही अनूप शाह, समाजसेवी देवेंद्र पिल्लई प्रकाश राव, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के निदेशक डॉ. जगत राम, दुर्लभ बीजों का संग्रह करने वाली ओडिशा के किसान परिवार की कमला पुजारी, वरिष्ठ अधिवक्ता तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता हरविंदर सिंह फुलका, स्वामी विवेकानंद जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र के संस्थापक राजस्थान के हुक्मचंद पाटीदार, छत्तीसगढ़ के रंगमंच के लोक कलाकार अनूप रंजन पांडे, लद्दाख इंस्टीट्यूट ऑफ प्रिवेंशन के संस्थापक डॉ. सेरिंग नोरबू, नायकी भाव में प्रदर्शन करने वाले ट्रांसजेंडर नृतकी नटराज, ओडिशा के समाज सेवी दायत्रि नाइक, बुंदेली भाषा के लेखक कैलाश मदबैया, रोगन पेंटिंग को पुनर्जीवित करने वाले अब्दुल गफूर खत्री, पुरातत्त्वविद के.के. मुहम्मद और हस्तशिल्पी फयाज अहमद जान शामिल हैं।

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कम्युनिस्ट पार्टी ने 10 राज्यों के लिए लोकसभा उम्मीदवारों की घोषणा की attacknews.in

नयी दिल्ली, 16 मार्च । माकपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पश्चिम बंगाल सहित दस राज्यों की 45 लोकसभा सीटों के लिये अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है।

माकपा द्वारा शनिवार को जारी उम्मीदवारों की सूची में पश्चिम बंगाल की 42 में से 16 लोकसभा सीटें शामिल हैं। इनमें पार्टी के रायगंज सीट से मौजूदा सांसद मोहम्मद सलीम और मुर्शिदाबाद से बदरुद्दजा खान भी शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि वामदलों की मौजूदगी वाले वाम मोर्चा ने पश्चिम बंगाल की 25 लोकसभा सीटों के लिये शुक्रवार को सूची जारी की थी। इसमें माकपा के 15, आरएसपी के दो, फॉरवर्ड ब्लॉक के तीन और माकपा के एक उम्मीदवार का नाम शामिल है।

वाम दल के अध्यक्ष बिमान बसु ने एक बयान में कहा कि मोर्चा के उम्मीदवारों में आरएसपी के पुरुलिया सीट से बीरसिंह महतो और बशीरहाट से भाकपा के पल्लबसेन गुप्ता भी शामिल हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच चुनावी तालमेल के तहत कायम हुयी सहमति के मुताबिक पिछले चुनाव में कांग्रेस द्वारा जीती गयी पुरुलिया और बशीरहाट सहित चार सीटों पर मोर्चा अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगा। लेकिन दोनों सीटों पर भाकपा और फॉरवर्ड ब्लॉक द्वारा उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद अब कांग्रेस चाहे तो इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर सकती है।

उल्लेखनीय है कि चुनावी तालमेल के तहत पश्चिम बंगाल में कांग्रेस द्वारा पिछले चुनाव में जीती गयी चार सीटों पर वामदलों द्वारा और माकपा के कब्जे वाली दो सीटों (रायगंज और मुर्शिदाबाद) पर कांग्रेस द्वारा उम्मीदवार घोषित नहीं करने पर सहमति बनी थी। आगामी 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरण में लोकसभा की 543 सीटों के लिये मतदान होगा।

माकपा के उम्मीदवारों की सूची में पश्चिम बंगाल के अलावा केरल से 16, असम और त्रिपुरा से दो दो और हरियाणा, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, पंजाब और तमिलनाडु से एक एक उम्मीदवार शामिल हैं।

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कमलनाथ ने कहा: दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की उस सीट से चुनाव लड़े जहां से कांग्रेस पार्टी को जीत नहीं मिली attacknews.in

छिंदवाड़ा, 16 मार्च । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उन तीन से चार सबसे कठिन सीटों में से किसी एक पर चुनाव लड़ना चाहिए, जिसमें पार्टी को लम्बे समय से जीत नहीं मिली है।

छिंदवाड़ा पहुंचे श्री कमलनाथ ने पत्रकारों से श्री सिंह के चुनाव लड़ने संबंधी सवालों के जवाब में यह बात कही।

टिकटों के वितरण संबंधी एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री कमलनाथ ने कहा कि आगामी चार पांच दिनों में इस पर निर्णय लिया जायेगा। अभी केंद्रीय चुनाव समिति उन प्रदेशों पर कार्य कर रही है, जहां पहले, दूसरे, तीसरे चरण में चुनाव होना है।

कर्जमाफी को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री कमलनाथ ने कहा कि अभी प्रदेश में लगभग बाइस लाख किसानों के कर्ज माफ हो चुके हैं और लोकसभा चुनाव के बाद बाकी किसानों का भी कर्जा माफ होगा, यह हमारा वचन है।

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