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सिख विरोधी दंगों के मामले में सज्जन कुमार को आखिरकार जाना पड़ा जेल, यह हैं पूरा घटनाक्रम attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर । कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में जीवन पर्यंत कारावास की सजा काटने के लिये सोमवार को यहां दिल्ली की एक अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में उन्हें दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई थी।

कुमार ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदिति गर्ग के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इसके बाद अदालत ने उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली में स्थित मंडोली जेल भेजने का आदेश दिया।

अदालत ने तिहाड़ जेल में रखने का कुमार का अनुरोध ठुकराया लेकिन सुरक्षा संबंधी कुमार का अनुरोध स्वीकार करते हुए उन्हें एक अलग वाहन में जेल ले जाने का आदेश दिया।

अदालत कक्ष में उपस्थित रहे एक वकील ने कहा कि अदालत ने कुमार के सुरक्षा के अनुरोध पर विचार इसलिए किया क्योंकि उन्हें खतरा है और वह सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

तिहाड़ जेल भेजने का उनका अनुरोध ठुकराते हुए अदालत ने कहा कि उन्हें नियमों के तहत मंडोली जेल भेजा जा रहा है।

73 वर्षीय पूर्व कांग्रेसी नेता को उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर को ‘शेष जीवन तक के लिये कारावास’ की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने कुमार को आत्मसमर्पण करने के लिये 31 दिसंबर तक की मोहलत दी थी।

उच्च न्यायालय ने 21 दिसंबर को आत्मसमर्पण के लिये समय-सीमा एक महीने के लिये बढ़ाने का अनुरोध करने वाली कुमार की अर्जी खारिज कर दी थी।

कुमार ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करके उन्हें दोषी ठहराने और जीवन पर्यंत कारावास की सजा सुनाने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दे रखी है।

कुमार को दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम कॉलोनी के राज नगर पार्ट-1 क्षेत्र में एक-दो नवंबर 1984 को पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-I में एक गुरुद्वारा जलाने के मामले में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई थी।

ये दंगे 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किये जाने के बाद भड़के थे।

इससे पहले सोमवार को, इस मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व विधायकों किशन खोखर और महेंद्र यादव ने दस दस साल की सजा काटने के लिए अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया।

कुमार के अलावा इस मामले में पूर्व कांग्रेसी पार्षद बलवन खोखर, सेवानिवृत्त नौसैन्य अधिकारी कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल को दोषी ठहराया गया था।

अपने फैसले में, उच्च न्यायालय ने कहा था कि 1984 दंगों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में 2700 से अधिक सिख मारे गये जो ‘‘अविश्वसनीय स्तर का नरसंहार’’ था।

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के 2010 के उस फैसले को निरस्त किया था जिसमें कुमार को इस मामले में बरी कर दिया गया था।

सिख विरोधी दंगों का यह है घटनाक्रम:

कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के जिस मामले में ताउम्र की सजा काटने के लिये सोमवार को एक स्थानीय अदालत में आत्मसर्पण किया, उसका घटनाक्रम इस प्रकार है:

31 अक्टूबर, 1984 : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके निवास पर उनके दो अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

1-2 नवंबर, 1984 : शहर में दंगे भड़के। भीड़ ने दिल्ली छावनी के राजनगर में पांच सिखों की हत्या की।

मई, 2000: दंगे से जुड़े मामलों की जांच के लिए जी टी नानावटी आयोग गठित किया गया।

दिसंबर, 2002 : सत्र अदालत ने एक मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किया।

24 अक्टूबर, 2005: सीबीआई ने जी टी नानावटी आयोग की सिफारिश पर एक अन्य मामला दर्ज किया।

1 फरवरी, 2010: निचली अदालत ने आरोपी के तौर पर नामजद किये गये कुमार, बलवान खोखर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल, गिरिधर लाल, कृष्ण खोखर, दिवंगत महासिंह और संतोष रानी के खिलाफ समन जारी किया।

24 मई 2010: निचली अदालत ने छह आरोपियों के खिलाफ हत्या, डकैती, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की शरारत, दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने, आपराधिक साजिश एवं भादसं की अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किये।

30 अप्रैल, 2013 : अदालत ने कुमार को बरी कर दिया जबकि बलवान खोखर, लाल, भागमल को हत्या के जर्म में एवं यादव, कृष्ण खोखर को दंगा फैलाने के अपराध में दोषी ठहराया।

9 मई, 2013 : अदालत ने खोखर, भागमल और लाल को उम्रकैद तथा यादव एवं कृष्ण खोखर को तीन साल की कैद की सजा सुनायी।

19 जुलाई, 2013 : सीबीआई ने कुमार को बरी किये जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की।

22 जुलाई, 2013 : उच्च न्यायालय ने सीबीआई की अपील पर कुमार को नोटिस जारी किया।

29 अक्टूबर, 2018 : उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।

17 दिसंबर 2018: उच्च न्यायालय ने कुमार को दोषी ठहराया और ताउम्र कैद की सजा सुनायी। उसने खोखर, भागमल और लाल को सुनायी गयी उम्रकैद की सजा को भी सही ठहराया तथा यादव एवं कृष्ण खोखर की कैद की सजा बढ़ाकर दस साल कर दी।

20 दिसंबर 2018: कुमार ने उच्च न्यायालय का रूख कर आत्म समर्पण के लिए 30 जनवरी 2019 तक का वक्त मांगा।

21 दिसंबर 2018: उच्च न्यायालय ने कुमार की अर्जी खारिज की।

22 दिसंबर 2018: कुमार ने अपनी दोषिसिद्धि और उम्र कैद की सजा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।

31 दिसंबर 2018: कुमार ने दिल्ली की अदालत में आत्म समर्पण किया।

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