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1971 में पांचवें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टुकड़े होने के बाद भी इंदिरा गांधी नेता बनकर उभरी और क्षेत्रीय पार्टियों का उदय हुआ attacknews.in

नयी दिल्ली 24 मार्च । वर्ष 1971 में हुये पांचवें लोकसभा चुनाव के पहले हुये कांग्रेस में विभाजन और कांग्रेस (ओ) के गठन के साथ ही बड़ी संख्या में राज्य स्तरीय पार्टियों का उदय होने के बावजूद इस चुनाव में भी कांग्रेस का दबदबा बरकरार रहा था और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पार्टी की एकछत्र नेता बनकर उभरी।

इस चुनाव में इंदिरा गांधी , जगजीवन राम , गुलजारी लाल नंदा , हेमवती नंदन बहुगुणा , सिद्धार्थ शंकर राय और जानकी वल्लभ पटनायक जैसी कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ ही मोरारजी देसाई और सुचेता कृपलानी जैसे दिग्गज कांग्रेस (ओ) के टिकट पर ,अटल बिहारी वाजपेयी और विजयराजे सिंधिया जनसंघ तथा पीलू मोदी स्वतंत्र पार्टी और मधु दंडवते प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दिग्गज नेता इन्द्रजीत गुप्त भी चुनाव जीत गये थे । वहीं समाजवादी नेता मधु लिमिये , राजनारायण , कांग्रेस नेता सीताराम केसरी जैसे नेताओं को पराजय का सामना करना पडा था ।

इस चुनाव की एक खास बात यह रही कि यह निर्धारित समय से एक वर्ष पहले कराये गये और पहली बार लोकसभा समय से पहले भंग कर दी गयी।

इस चुनाव में आठ राष्ट्रीय पार्टियों, 25 राज्य स्तरीय पार्टिर्यों तथा 28 निबंधित पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवार उतारे थे । राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस , कांग्रेस (ओ) , जनसंघ , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , प्रजा सोसलिस्ट पार्टी , संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी और स्वतंत्र पार्टी शामिल थी ।

राज्य स्तरीय पार्टियों में बंगला कांग्रेस , भारतीय क्रांति दल , द्रविड़ मुनेत्र कषगम , फारवर्ड ब्लाक , जन कांग्रेस , जनता पार्टी , केरल कांग्रेस , महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी , मुस्लिम लीग , शिरोमणि अकाली दल ,विशाल हरियाणा और पीजेंट एंड वर्क्स पार्टी प्रमुख थी । इस चुनाव में कुल 27 करोड़ 41 लाख 89 हजार 132 मतदाता थे जिनमें जिनमें से 55.27 प्रतिशत ने वोट डाले थे ।

लोकसभा की 518 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में 2784 उम्मीदवारों ने अपनी चुनावी किस्मत को आजमाया था । इनमें राष्ट्रीय पार्टियों के 1223 , राज्य स्तरीय पार्टियों के 224 और 1134 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल थे । राष्ट्रीय पार्टियों को 77.84 प्रतिशत वोट मिले थे और उनके 451 प्रत्याशी निर्वाचित हुये थे । राज्य स्तरीय पार्टियों के 40 उम्मीदवार जीते थे और उन्हें 10.17 प्रतिशत वोट मिले थे । कुल 14 निर्दलीय उम्मीदवार विजेता बनने में सफल रहे और इन्हें 08.38 प्रतिशत वोट मिले थे ।

कांग्रेस को आन्ध्र प्रदेश में 28, असम में 13 , बिहार में 39 , गुजरात में 11 , हरियाणा में सात , जम्मू कश्मीर में पांच , केरल में छह , मध्य प्रदेश में 21 , महाराष्ट्र में 42 , मैसूर में 27 , उड़िसा में 15 , पंजाब में दस , राजस्थान में 14 , तमिलनाडु में नौ , उत्तर प्रदेश में 73 , पश्चिम बंगाल में 13 , हिमाचल में चार , दिल्ली में सात , मणिपुर में दो तथा अंडमान निकोबार , चंडीगढ , दादर नागर हवेली , पुड्डीचेरी और गोवा दामन दीव में एक – एक सीट मिली थी ।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को कुल 23 सीटें मिली थी । उसे बिहार में पांच , उत्तर प्रदेश में चार , पश्चिम बंगाल में तीन , उड़िसा में एक , केरल में तीन , आन्ध्र प्रदेश में एक , तमिलनाडु में चार और पंजाब में दो सीटें मिली थी ।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पश्चिम बंगाल में ही 20 सीट पर जीतने में कामयाब रही थी जबकि उसे केरल में दो त्रिपुरा में दो और आन्ध्र प्रदेश में एक सीट पर सफलता मिली थी । कांग्रेस (ओ) को गुजरात में सबसे अधिक 11 तथा बिहार में तीन , उत्तर प्रदेश में एक और तमिलनाडु में एक सीट जीत पायी थी ।

जनसंघ कों मध्य प्रदेश में 11 , राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चार – चार और बिहार में दो सीटें मिली थी । स्वतंत्र पार्टी को उड़िसा और राजस्थान में तीन – तीन तथा गुजरात में दो सीटें मिली थी । संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी को बिहार में दो तथा मध्य प्रदेश में एक , प्रजा सोसलिस्ट पार्टी को महाराष्ट्र और पश्वचिम बंगाल में एक – एक तथा फारवर्ड ब्लाक को दो सीटें मिली थी । अकाली दल को पंजाब में एक सीट मिली थी । निर्दलीय प्रत्याशियों को 14 लोकसभा क्षेत्रों में कामयाबी मिली थी । सबसे अधिक चार निर्दलीय मध्य प्रदेश में जीते थे ।

कांग्रेस प्रत्याशी इंदिरा गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली सीट पर संयुक्त सोसलिस्ट पार्टी के नेता राजनारायण को भारी मतों के अंतर से पराजित किया था । श्रीमती गांधी को 183309 तथा श्री राजनारायण को 71499 वोट मिले थे ।बिहार के सासाराम (सु) क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के जगजीवन राम ने कांग्रेस (ओ) प्रत्याशी महावीर पासवान सवा लाख से अधिक मतों के अंतर से पराजित कर दिया था । इस चुनाव में श्री राम को दो लाख दस हजार से अधिक मत आये थे ।
कांग्रेस उम्मीदवार गुलजारी लाल नंदा हरियाणा के कैथल लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस (ओ) प्रत्याशी इंदर सिंह को पराजित किया था । श्री नंदा को 155000 मत तथा श्री सिंह कोे 129462 वोट मिले थे । कांग्रेस प्रत्याशी हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद सीट पर कांग्रेस (ओ) के मंगला प्रसाद को पराजित किया था । श्री बहुगुणा एक लाख 42 हजार से अधरिक मत लाने में कामयाब रहे थे जबकि श्री प्रसाद 46998 वोट ही ला साके थे ।

पश्चिम बंगाल के रायगढ क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार सिद्धार्थ शंकर राय ने माकपा के सुबोध सेन को धूल चटायी। । श्री राय को एक लाख 47 हजार से अधिक और श्री सेन को 83353 वोट ही मिले थे । इसी राज्य में अलीपुर सीट पर भाकपा के इन्द्रजीत गुप्त ने माकपा के कमल सरकार को हराया था । श्री गुप्त एक लाख 73 हजार से अधिक तथा श्री सरकार एक लाख 46 हजार से अधिक वोट लाने में सफल रहे थे ।

जनसंघ के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश मेंं ग्वालियर सीट पर कांग्रेस के गौतम शर्मा को हराया था । श्री वाजपेयी को एक लाख 88 हजार से अधिक तथा श्री शर्मा को 118685 वोट मिले थे । स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर पीलू मोदी गुजरात के गोधरा सीट पर कांग्रेस के प्रताप सिंह पटेल से चुनाव जीत गये थे । श्री मोदी को एक लाख से अधिक और श्री पटेल को 90 हजार से अधिक मत मिले थे ।

समाजवादी विचारक मधुदंडवते महाराष्ट्र के राजापुर सीट पर प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के टिकट पर कांग्रेस के शिवाराम भोंसले से मामूली मतों के अंतर से विजयी हुये थे । श्री दंडवते को 98747 और श्री भोंसले को 95553 वोट मिले थे । कांग्रेस केे जानकी वल्लभ पटनायक उड़िसा में कटक से जीत गये थे लेकिन इसी पार्टी के सीताराम केसरी बिहार में कटिहार सीट से हार गये थे श्री केसरी को जनसंघ के उम्मीदवार ने हराया था ।

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