Home / चुनाव / 1957 में दूसरे आम चुनाव मे भारत में कांग्रेस पार्टी को मिले बहुमत से अलग आकर्षक व्यक्तित्व के कारण अटल बिहारी वाजपेयी का उदय हुआ और विजयी होकर इतिहास बनाया attacknews.in
अटल बिहारी वाजपेयी

1957 में दूसरे आम चुनाव मे भारत में कांग्रेस पार्टी को मिले बहुमत से अलग आकर्षक व्यक्तित्व के कारण अटल बिहारी वाजपेयी का उदय हुआ और विजयी होकर इतिहास बनाया attacknews.in

नयी दिल्ली, 19 मार्च । आजादी के बाद 1957 में हुये दूसरे लोकसभा चुनाव ने न केवल तपे-तपाये नेताओं को नीति-निर्माता बनने का अवसर दिया बल्कि अपनी वाकपटुता और आकर्षक व्यक्तित्व के बदौलत लोकप्रियता हासिल करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार निर्वाचित कर देश को नया संदेश दिया।

लाेकसभा की 494 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में चार राष्ट्रीय, 11 अन्य दलों तथा निर्दलीय उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था। राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस, अखिल भारतीय जनसंघ, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और प्रजा सोसलिस्ट पार्टी शामिल थी। इस चुनाव में जनसंघ के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर सीट पर पहली बार जीत हासिल कर एक नया इतिहास रच दिया था।

राज्य स्तरीय अन्य पार्टियों में जनता पार्टी, फारवर्ड ब्लाक (मार्सिस्ट), गणतंत्र परिषद, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, झारखंड पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीजेंट एंड वर्कर पार्टी, अखिल भारतीय राम राज्य पार्टी रिवोल्यूशनरी सोसलिस्ट पार्टी और आल इंडिया शेड्यूल कास्ट फेडरेशन शामिल थी। राष्ट्रीय पार्टियों को 73 प्रतिशत से अधिक वोट मिले जबकि क्षेत्रीय पार्टियों को 7.60 प्रतिशत वोट मिले। आश्चर्यजनक ढंग से 19.32 प्रतिशत मतदाताओं ने निर्दलीय प्रत्याशियों को वोट देना बेहतर समझा।

उस समय 19 करोड़ 36 लाख 52 हजार से अधिक मतदाताओं ने 1519 उम्मीदवारों के चुनावी किस्मत का फैसला किया था। इस चुनाव में राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 919 और अन्य पार्टियों ने 119 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे। इसके अलावा 481 निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपने दमखम पर चुनाव लड़ा था।

कांग्रेस ने सर्वाधिक 490 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये जिनमें से 371 चुनाव जीतने सफल रहे। कई राज्यों में तो अधिकांश सीटें उसके कब्जे में आ गयीं। यह पार्टी 47.78 प्रतिशत मत पाने में सफल रही। समाजवादी विचार धारा की पार्टी माने जाने वाली प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने 189 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा जिनमें से केवल 19 विजयी होने में सफल रहे। यह पार्टी 10.41 प्रतिशत मत पाने में कामयाब रही। जनसंघ ने 130 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया और उसके केवल चार प्रत्याशी जीतने में सफल रहे। इस पार्टी के कुल मिले वोट प्रतिशत में पहले के चुनाव की तुलना में थोड़ी वृद्धि होकर यह छह प्रतिशत के अासपास पहुंच गयी।

पहले लोकसभा चुनाव परिणामों से उत्साहित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 110 उम्मीदवारों को टिकट दिया जिनमें से 27 निर्वाचित हो गये और वह दूसरे लोकसभा में भी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी रही। पहले लोकसभा चुनाव में भाकपा के 16 उम्मीदवार चुने गये थे। यह पार्टी 8.92 प्रतिशत वोट पाने में कामयाब रही थी।

राज्य स्तरीय पार्टियों ने कुल 119 प्रत्याशियों को टिकट दिया जिनमें से 31 निर्वाचित हो गये। इसके साथ ही 481 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जिनमें से 42 विजयी हुये। इस चुनाव में हर सीट पर औसत तीन से चार उम्मीदवार चुनाव लड़े । आन्ध्र प्रदेश के एक लोकसभा क्षेत्र में 10 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था।

कांग्रेस के जवाहर लाल नेहरु उत्तर प्रदेश के फूलपुर लोकसभा सीट से निर्वाचित हुये थे। उन्हें कुल 2,27,448 वोट मिले। इसी पार्टी के लाल बहादुर ने इलाहाबाद में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के राधेश्याम पाठक को हराया था। कांग्रेस के फिरोज गांधी रायबरेली क्षेत्र में 1,62,595 वोट लाकर निर्वाचित हुये थे जबकि बिहार में सासाराम से जगजीवन राम ने प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के शिवपूजन सिंह को पराजित किया था। कांग्रेस के मोरारजी देसाई सूरत सीट से चुने गये। उन्हें एक लाख 90 हजार से अधिक मत मिले।

जनसंघ के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर सीट पर 52 प्रतिशत से अधिक मत लाकर कांग्रेस के हैदर हुसैन का हराया था। समाजवादी विचारक आचार्य जे बी कृपलानी बिहार के सीतामढ़ी सीट से जीतने में कामयाब रहे जबकि कांग्रेस के ललित नारायण मिश्र (सहरसा), विजयराजे सिंधिया (गुना) और विद्या चरण शुक्ला (बलोदाबाजार) से जीतने वालों में शामिल थे।

कट्टर वामपंथी विचारक हिरेन्द्र नाथ मुखर्जी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर कलकत्ता केन्द्रीय सीट से लोकसभा के लिए चुने गये थे। श्री मुखर्जी कुल 135308 वोट लाकर कांग्रेस के. एन. सान्याल को भारी मतों के अंतर से पराजित किया था। दिग्गज मजदूर नेता और भाकपा के उम्मीदवार श्रीपद अमृत डांगे (बाम्बे सिटी सेंट्रल), वी. परमेश्वरण नायर (केरल के क्वीलोन) तथा पी. के. वासुदेवन नायर (तिरुवल्ला) से निर्वाचित हुये थे।

कांग्रेस को आन्ध्र प्रदेश में 37, असम में 09, बिहार में 41, बाम्बे में 38, केरल में 06, मध्य प्रदेश में 35, मद्रास में 31, मैसूर में 23, उड़िसा में 07, पंजाब में 21, राजस्थान में 19, उत्तर प्रदेश में 70, पश्चिम बंगाल में 23, दिल्ली में 05, हिमाचल प्रदेश में 04, मणिपुर में एक और त्रिपुरा में एक सीट मिली थी।

भाकपा को आन्ध्र प्रदेश में 02, बाम्बे में 04, केरल में 09, मद्रास में 02, उड़ीसा में एक, पंजाब में एक, उत्तर प्रदेश में एक, पश्चिम बंगाल में 06 और त्रिपुरा में एक सीट मिली थी। जनसंघ को बाम्बे और उत्तर प्रदेश में दो – दो सीटें मिली थी। प्रजा सोसलिस्ट पार्टी को असम में दो, बिहार में दो, बाम्बें में पांच, केरल में एक, मैसूर में एक, उड़िसा में दो, उत्तर प्रदेश में चार और पश्चिम बंगाल में दो सीटें मिली थी।

झारखंड पार्टी के बिहार में छह सीटें मिली थी। फारवर्ड ब्लाक, गणतंत्र परिषद, पीसेंट एंड वर्कर पार्टी हिन्दू महासभा को भी छिटपुट रुप से कुछ सीटों पर सफलता मिली थी ।

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