कोलकाता 9 मार्च | पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी के बीच जारी राजनीतिक व वैचारिक जंग अब नया स्वरूप लेती दिख रही है. ममता बनर्जी सरकार ने संकेत दिये हैं कि वह भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित स्कूलों पर गाज गिरा सकती है. भाजपा की पहचान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध राजनीतिक पार्टी की है. दरअसल, बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा था कि धर्म के आधार पर कोई भी स्कूल नहीं चलने देंगे. उन्होंने कहा था कि शिक्षा के नाम पर बच्चों में सांप्रदायिकता का विष रोपण नहीं करने दिया जायेगा.
प्रश्नोत्तर काल के दौरान माकपा के विधायक मानस मुखर्जी के सवाल के जवाब में श्री चटर्जी ने बताया था कि शारदा विद्यामंदिर के पांच शिक्षण संस्थानों को अनुमोदन दिया गया है. इन स्कूलों की जांच की जा रही है. यदि जरूरत पड़ी तो इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी और इनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है. श्री चटर्जी ने कहा कि धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देने के आरोप के मद्देनजर करीब 100 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
ममता बनर्जी सरकार के इस बयान पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. संघ के प्रांत कार्यवाह डॉ जिष्णु बसु ने कहा कि वामपंथी व तृणमूल कांग्रेस दोनों ही आरएसएस द्वारा संचालित स्कूलों की बात कर रहे हैं. विधानसभा में मुद्दा उठाया जा रहा है, लेकिन बंगाल में बिना अनुमोदन के चलने वाले 10, 500 खारिज मदरसों के बारे में वह क्यों चुप हैं. सिमुलिया के मदरसे के बारे में क्यों नहीं कुछ बोल रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वास्तव में दोनों ही पार्टियां पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाने की साजिश रच रही हैं.
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में आरएसएस समर्थित लगभग 330 स्कूल चल रहे हैं. इन स्कूलों में प्राइमरी से लेकर उच्च माध्यमिक तक छात्रों के पढ़ने की व्यवस्था है. आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान बोर्ड के तहत उत्तर बंगाल और दक्षिण बंगाल में अलग-अलग बोर्ड हैं. दक्षिण बंगाल में विवेकानंद विद्या विकास परिषद है. इसके अधीन 215 स्कूल हैं.
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान की दोनों पार्टियों के रिश्ते की तल्खी बाद में दिनों में और बढ़ती गयी. नोटबंदी के दौरान ममता बनर्जी ने भाजपा व नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखे हमले किये. चिटफंड घोटाले में तृणमूल के कई नेताओं की गिरफ्तारी को राजनीतिक कार्रवाई बताया गया था.